छलांग लगाने से पहले कंपनी का पता लगा ले !
अगर आप ने सफलतापूर्वक साक्षात्कार देने कि कला में महारत हासिल कर ली है , और किसमत भी आप पर मेहरवान है , तो यह संभव है आपको एक से ज्यादा नौकरी का अवसर मिल जाए , लेकिन इसके बाद भी कुछ लोग असफल रह जाते है या फिर कैरिएर ,कंपनी और काम के परिवेश को लेकर असंतुस्ट रह जाते है , फिर वह कंपनी , नियोक्ता और संचालक को दोष देते है.
लेकिन यह सही नहीं है . यह सच है कि कंपनी और नियोक्ता के चयन में जो सावधानी आपको बरतनी चाहिए थी , वह आपने नहीं बरती. इसलिए सही कंपनी का चुनाव करने का निर्णय लेना थोरा कठिन होता है. इसके लिए आप इन परोगो को आपना सकते है.
1 कंपनी के बिषय में पूरी जानकारी ले.
आवेदन सेंड करते वक्त आपने जो कुछ भी निर्णय होगा, उसके मुताबिक कंपनी है या नहीं , इसकी पूरी जानकारी इकठ्ठा करे . सुनी सुनाई या अखबार में नौकरी के बिझापन में लिखे गए ' तेजी से बिकसित और पेशेवर तरीके से संचालित कंपनी , जैसे दावो पर न जाए . कंपनी के वार्षिक विवरणी से जानकारी प्राप्त करे . फिर तय करे कि आपको किस कंपनी के लिए काम करना चाहिय . कई ऐसे संकेत होते है , जिनके आप इस्तेमाल कर सकते है . ये संकेत रिस्प्प्शानिस्ट से शुरू हो जाता है. उस्ससे भी कंपनी कि छवि प्रस्तुत होति है. उससे भी कंपनी कि छवि प्रस्तुत होति है . यह जरुरि नहीं कि वहा कि भव्य और मांगी सजावटे हि ,तो अंदर भी व्ही जिवंत्न्ता और स्वछता मिले . ऐसा कोई जरुरि नहीं.
2 शौचालय भी एक कसौटी है
किसी कंपनी के बारे में जानने के लिए यहाँ का शौचालय भी एक रोचक कसौटी है. इसलिए सौचालय भी एक रोचक कसौटी है . इसलिए शौचालय परिक्षण कंपनी का रवैया जानने का यह एक अचूक माप है. सौचालय में जाने कि इच्छा प्रकट कीजिये . कुछ ऐसी कंपनी होति है, जहा प्रबंधको के सौचालय का तो ख्याल रखा जाता है, परन्तु सार्वजानिक सुचली का नहीं . इससे भी कंपनी के कमचारियो के प्रति व्यबहार और वह काम करने के माहौल का पत लगाया जा सकता है.
3.लोगो कि राय सुने
जब आप साक्षात्कार देने जाए , तब यह भी देखे कि प्रबंधक एक दुसरे के बारे में किस तरह कि बाते करते है ? साक्षात्कार में कई प्रबंधक अनजाने में यह जाहिर कर देते है कि वह आपने सहकर्मियों के बारे में क्या रे रखते है . क्या वो एक दुसरे के गला काटने में लगे रहते है , अगर हां ,तो जाहिर है कि उनके साथ समूह में काम करने में क्षीण है .. उसी प्रकार वहां सालो से काम कर रहे लोग कंपनी के बारे में क्या रे रखते है ? क्या वह एषा समझते है कि वह ऐसे जाल में फास गए , जहा से अब निकल नहीं सकते ? कंपनी से सेनाब्रिती लोग कंपनी के बारे में क्या कहते है क्या बे कभी कभी आपने पुराने सहकर्मी से मिलने जाते है? क्या उन्हें वार्षिक मिलन समारोह में बुलाया जाता है ? क्या इनके पुराने समारोह कार्यस्थल में कोई भी मित्र है , जिनसे पेशेवर खत्म होने के बबुजुदे भी दोस्ती कायम है ? कम्पनी को सामान कि आपूर्ती करने वाले लोग कम्पनी के बारे में क्या सोचते है ?इससे यह पाता चलेगा कि कम्पनी लें दें में कितन इमानदार है .
यह भी देखे कि ककम्प्न्य कि समाज और समुदाय के प्रति क्या पर्तिबधता है ? उसकी बस्त्विकता क्या है ? इन सब प्रश्नों के उतर आपको सही कम्पनी और सही निर्णय लेने में मद्दद करेंगी.
टिप्स for best
खुद में एक्सिलेंस लाये :;- माजूदा परिस्थिति में किताबी कीड़ा बनकर या डिग्रियां का ढेर लगा कर सफलता कि कामना नहीं कि जा सकती है . आपने अंदर झांक कर आपनी प्रतिभा को टटोल कि किन क्षेत्रो में आप आपनी दक्षता को बिकसित कर सकते है और बाजी मार सकते है . जो क्षेत्र आपको सर्वाधिक उपयुक्त लगे , उसमे बिशेझ्यो कि सलाह लेकर आपना कौशल बढ़ाये .
आत्म्बिश्वास बिकसित करे
जीवन के कुरुक्षेत्र में तो अधि लड़ाई तो आत्म्बिश्वास द्वारा हि लड़ी जाती है . यदि योग्यता के साथ , आताम्बिश्वास बिकसित किया जाए , तो कैरिएर के कुरुषेत्र में आपको कोई पराजित नहीं कर सकता है , अध्यान के साथ साथ उन गतिविधियों में भी हिस्सा ले जिनसे आपकी आत्म्बिश्वास बढे .
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