Saturday, 4 June 2016

सफलता के लिए सबसे ज़रूरी 12 सबक

सफलता के लिए सबसे ज़रूरी 12 सबक

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यह लेख Forbes मैगज़ीन के कॉंट्रीब्यूटर ट्रेविस ब्रैडबरी के आर्टिकल 12 Lessons You Learn Or Regret Forever का अनुवाद है जो उनकी लिखित अनुमति से यहां पोस्ट किया जा रहा है.

अपने पैरों पर खड़ा होना और कैरियर की राह पर बढ़ना कोई मामूली बात नहीं है. तुम चाहे कैरियर बदल रहे हो या यूनीवर्सिटी वापस अटैंड कर रहे हो या अपने 8 से दस घंटे के जॉब को छोड़कर बिजनेस की शुरुआत कर रहे हो, ये सब बहुत हिम्मत का काम है.
लेकिन सिर्फ़ हौसला ही तुमको बहुत आगे नहीं ले जा सकता. हिम्मत जुटाने के बाद जब तुम अगली स्टेप पर छलांग मारते हो तो अपने रास्ते का बमुश्किल 5% रास्ता ही तय कर चुके होते हो. अभी तुम्हारी मंज़िल कोसों दूर है और अपने सबसे खौफ़नाक डरों से तुम्हारा सामना होना बाकी है. ये डर वे हैं जो तुम्हें पहला कदम उठाने से बहुत देर तक रोकते रहे.
मैं यह मानकर चल रहा हूं कि तुम मेरी तरह हो और तुम्हारे पास कोई शानदार मेंटर नहीं है या तुम्हारे कंधे पर संपन्न पिता का हाथ नहीं है जो तुम्हें मार्ग दिखाए और अपने कैरियर को संभालने के लिए हर ज़रूरी साधन उपलब्ध कराए.
मैं तुम्हें अपनी बातें बताता हूं. लगभग बीस साल पहले मैं किसी बॉस के नीचे काम किया करता था. एक सर्फ़िंगबोर्ड शॉप में काम करने के बाद मैंने अपनी राह चुनी और एक पार्टनर के साथ अपनी कंपनी TalentSmart तब शुरु की जब मैं ग्रेजुएट भी नहीं हुआ था.
जब मैंने अपने पैरों पर खड़ा होने की राह चुनी तब मेरे दिल में अपने कैरियर को एक घुमाव देने की जबरदस्त चाह और रिस्क लेने की काबिलियत थी. उन दिनों मुझे यही लगता था कि सफल होने के लिए इन चीज़ों की सबसे ज्यादा ज़रूरत थी.
लेकिन यह सच नहीं था. मुझे भी गाइडेंस की ज़रूरत थी. इसके बिना आगे पढ़ने पर मुझे कई बहुत मुश्किल और कड़वे सबक सीखने को मिले. आज जब मैं इन बातों के बारे में सोचता हूं तो यह महसूस करता हूं कि ये सभी हमारे लिए बहुत बड़े रिमाइंडर्स हैं.

1. आत्मविश्वास सबसे पहली ज़रूरत है

सफल लोगों में एक अलग ही आत्मविश्वास झलकता है – ज़ाहिर है कि वे खुद में और जो कुछ भी वे करते हैं उसमें यकीन करते हैं. यह आत्मविश्वास उनमें सफल होने के बाद नहीं आया. यह उनमें पहले से ही था.
इस बारे में सोचो:
क. संदेह से संदेह उपजता है. दूसरे लोग तुमपर, तुम्हारे विचारों पर, या तुम्हारी काबिलियत पर यकीन क्यों करेंगे जब तुम्हें खुद ही उनपर यकीन नहीं होगा?
ख. नए चैलेंज उठाने के लिए आत्मविश्वास चाहिए. भयभीत या खुद को असुरक्षित महसूस करनेवाले लोग अपने कम्फ़र्ट ज़ोन में रहने के आदी होते हैं. इन कम्फ़र्ट ज़ोन्स से छुटकारा अपने आप कभी भी नहीं होता. यही कारण है कि जिन लोगों में आत्मविश्वास नहीं होता वे बंद गलियों सरीखी नौकरियों में फंस जाते हैं और सारे महत्वपूर्ण अवसरों को करीब से गुज़र जाने देते हैं.
ग. आत्मविश्वासहीन व्यक्ति बाहरी परिस्तिथियो के गुलाम बनकर रह जाते हैं. सफल लोग अपनी राह में आनेवाली कठिनाइयों से विचलित नहीं होते, यही कारण है कि वे हर मुकाम पर आगे बढ़ते जाते हैं.
आत्मविश्वास सफल कैरियर को बनाने वाला सबसे ज़रूरी बिल्डिंग ब्लॉक है, और आत्मविश्वास को संजोने पर तुम उन जगहों पर पहुंच सकते हो जिनकी संभावनाओं के बारे में तुमने कभी सोचा भी न होगा. कोई और नहीं बल्कि यह खुद तुम ही हो जो अपनी महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने से खुद को रोक रहे हो. यही वह समय है जब तुम्हें खुद पर संदेह करना बंद कर देना चाहिए.

2. तुम वह ज़िंदगी जी रहे हैं जो तुमने खुद बनाई है

तुम परिस्तिथियों के शिकार नहीं हो. कोई भी तुम्हें तुम्हारी वैल्यूज़ और महत्वाकांक्षाओं के विरुद्ध जाकर निर्णय लेने और कार्रवाई करने पर मजबूर नहीं कर सकता. आज तुम जिन परिस्तिथियों में जी रहे हो वे तुमने खुद ही पैदा की हैं. इसी तरह तुम्हारा भविष्य भी पूरी तरह तुम पर ही निर्भर करता है. यदि तुम खुद को कहीं फंसा हुआ पाते हो तो ऐसा बहुत हद तक इसलिए है कि तुम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए ज़रूरी रिस्क नहीं उठा पा रहे हो.
जब ऐक्शन लेने का वक्त करीब आ जाए तब यह याद रखना कि उस सीढ़ी के निचले पायदान पर होना बेहतर है जिसे आप चढ़ना चाहते हो न कि उस सीढ़ी के ऊपरी पायदान पर होना जिसपर से तुम कूद जाना चाहते हो.

3. बिज़ी होने का मतलब यह नहीं कि तुम प्रोडक्टिव भी हो

अपने आसपास मौजूद लोगों को देखो. वे सभी कितने बिज़ी होते हैं – मीटिंग-दर-मीटिंग भागते रहते हैं और दसियों ई-मेल्स भेजते रहते हैं. लेकिन क्या उनमें से ज्यादातर लोग वाकई बहुत प्रोडक्टिव काम कर रहे हैं, क्या वे वाकई ऊंचे लेवल्स पर सफलता पा रहे हैं?
सफलता भागमभाग और कुछ-न-कुछ करते रहने से नहीं आती. यह फ़ोकस से आती है. सफलता यह सुनिश्चित करने से आती है कि तुमने अपने समय का उपयोग कितनी कुशलता पूर्वक और कितना प्रोडक्टिवली किया. तुम्हें भी काम करने के लिए उतने ही घंटे मिलते हैं जितने औरों के पास हैं. अपने समय का बेहतर उपयोग करो. तुम्हारी मेहनत को तुम्हारी कोशिशों से नहीं बल्कि रिज़ल्ट से आंका जाएगा. अपनी कोशिशों को मौजूदा काम पर केंद्रित रखो और बेहतर परिणाम पाओ.

4. तुम उतने ही अच्छे हो सकते हैं जिनके साथ तुम जुड़े हो

तुम्हें उन व्यक्तियों के साथ संबंधित होना चाहिए जो तुम्हें प्रेरित करें, और जो दिल से तुमको बेहतर होते हुए देखना चाहते हों. शायद तुम भी ऐसा ही करते हो. लेकिन उन लोगों के बारे में क्या जो तुम्हें पीछे धकेल देते हैं? ऐसे लोगों को तुमने अपनी ज़िंदगी का हिस्सा क्यों बनाया हुआ है? तुम्हें कमतरी का, बेचैनी का, और नाउम्मीदी का अहसास कराने वाले लोग तुम्हारा कीमती वक्त बर्बाद कर रहे हैं और शायद तुम्हें भी उनके जैसा ही बना रहे हैं. ज़िंदगी इतनी बड़ी नहीं है कि तुम ऐसे लोगों के विचारों का बोझ ढोते फिरे. उनसे अपना नाता तोड़ लो.

5. दिल “नहीं” कहता हो तो “हां” मत कहो

विश्व की टॉप यूनीवर्सिटी (University of California in San Francisco) में हुई रिसर्च में यह पता चला है कि जिन लोगों को “नहीं” कहने में बहुत मुश्किल होती है उन्हें तनाव, निष्क्रियता, और डिप्रेशन से जूझना पड़ सकता है, और ये सारी बातें कैरियर को ग्रोथ देने में बहुत बड़ी बाधा हैं. “नहीं” कहना बहुत से लोगों के लिए बहुत बड़ा चैलेंज है. “नहीं” बहुत शक्तिशाली शब्द है और आपको इस शब्द का उपयोग करने से झिझकना नहीं चाहिए. जब “नहीं” कहने का वक्त करीब आ जाए तो आप गोलगोल बातें जैसे “मुझे नहीं लगता कि मैं…” या “मैं इस बारे में सुनिश्चित नहीं हूं.” कोई नया कमिटमेंट करने के दौरान “नहीं” कह सकने की हिम्मत से आपको मौजूदा कमिटमेंट्स को पूरा करने में मदद मिलती है और यह बात आपको सफलता के करीब पहुंचने के बेहतर मौके उपलब्ध कराती है.

6. खुद से निगेटिव बातें करना बंद करो

जब तुम अपने कैरियर को नई दिशा दो रहे होगे तो तुम्हें चीयरलीड करनेवाला शायद कोई नहीं होगा. ऐसे में खुद पर कई तरह के संदेह होने लगते हैं. तुम्हारे निगेटिव विचारों को तुमसे ही ताकत मिलती है. तुम उनपर जितना फ़ोकस करेंगे वे उतने ही प्रबल होते जाएंगे. तुम्हारे ज्यादातर निगेटिव विचार सिर्फ़ विचार ही हैं, वे फैक्ट्स नहीं है. जब तुम्हें अपने निगेटिव विचारों और निराशाजनक बातों पर यकीन होने लगते तो एक काम करो – तुम उन्हें कहीं लिख लो. तुम जो कुछ भी कर रहे हो उसे वहीं रोक दो और विचारों को लिख लो. इस तरह तुम्हारे निराशाजनक विचारों की रफ़्तार पर विराम लगेगा और तुम चीजों को उनके वास्तविक रूप में ज्यादा तार्किक होकर देख पाओगे और वस्तुस्थिति को बेहतर समझ पाओगे.

7. खुद से “यदि ऐसा हो गया तो?” पूछना बंद कर दो

“यदि ऐसा हो गया तो?” ऐसा हाइपोथेटिकल स्टेटमेंट है जो तुम्हारी चिंता और तनाव को भड़काता है, और इस तरह यह तुम्हारी प्रगति की राह में बाधक है. चीजों को बिगड़ना हो तो उसके सैंकड़ों रास्ते हो सकते हैं, और तुम उनके बिगड़ने की संभावनाओं के बारे में सोचते रहोगे तो ऐक्शन कब लोगे? खुद से “यदि ऐसा हो गया तो?” पूछना तुम्हें केवल एक ही जगह ले जा सकता है, जहां तुम जाना नहीं चाहते, जहां जाना तुम्हारी ज़रूरत नहीं है. लेकिन तुम्हारे प्लान्स बिल्कुल पक्के होने चाहिए, उनमें सभी संभावनाओं के लिए स्कोप होना ज़रूरी है. चिंतित होने के कारण खोजते रहना और भविष्य को ध्यान में रखते हुए सारी संभावनाओं की दृष्टि से रणनीति बनाने के अंतर को जान लेना तुम्हारे लिए ज़रूरी है.

8. अपनी एक्सरसाइज़ और नींद पर ध्यान दो

अच्छी नींद के महत्व पर मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता. जब तुम सोते हो तो तुम्हारा दिमाग़ न्यूरॉन्स से वे हानिकारक तत्व निकालता है जो जाग्रत अवस्था में बनते रहते हैं. समस्या केवल इतनी ही है कि दिमाग़ ये तत्व तभी निकाल सकता है जब तुम सो रहे हो. यदि तुम अपनी नींद पूरी नहीं करेंगे तो ये हानिकारक तत्व तुम्हारे दिमाग में मौजूद रहेंगे और तुम्हारी सोचविचार की शक्ति को शिथिल कर देंगे. इस नुकसान की भरपाई तुम देर तक जागने के लिए चाय-कॉफ़ी पीकर भी नहीं कर सकते इसलिए भरपूर काम करने के बाद अपने शरीर और दिमाग को पूरा आराम दो.
तुम्हारा आत्म-नियंत्रण, ध्यान और मेमोरी पर्याप्त नींद नहीं मिलने या यही तरीके की नींद नहीं मिलने से घट जाती है. नींद की कमी होने किसी तरह का तनाव नहीं होने पर भी कई प्रकार के स्ट्रेस हॉर्मोन निकलते हैं जो तुम्हारी प्रोडक्टिविटी को किल करते हैं. कभी-कभी यह हो सकता है कि तुम काम के जोश में अपनी नींद को अवॉइड करने लगो, लेकिन ऐसा करना तुम्हारे हित में नहीं है.
Eastern Ontario Research Institute में हुई एक रिसर्च में यह पता चला है कि 10 सप्ताह तक दिन में दो बार एक्सरसाइज़ करनेवाले व्यक्ति अधिक सोशल, एकेडमिक, और एथलेटिक होते हैं. वे अपनी बॉडी-इमेज को लेकर सजग होते हैं और उनके आत्मविश्वास का स्तर भी अधिक होता है. सबसे अच्छी बात यह है कि एक्सरसाइज़ करने से उनके शरीर में बढ़नेवाले लाभदायक हॉर्मोन तत्काल ही शरीर को पॉज़िटिव एनर्जी से भर देते हैं, हालांकि शरीर में होने वाले फ़िज़िकल परिवर्तन भी आत्मविश्वास के लेवल को बू्स्ट करने में सहायक होते हैं.
तुम अपने दिन भर के कामों से तालमेल रखते हुए एक्सरसाइज़ को इस तरह से प्लान करो कि यह छूट नहीं जाए अन्यथा तुम्हारा पूरा दिन वेस्ट हो जाएगा.

9. छोटी-छोटी जीत पर ध्यान केंद्रित करो

जब हम किसी बड़ी चीज़ के होने की उम्मीद कर रहे होते हैं तो छोटी-छोटी सफलताएं बहुत महत्वपूर्ण प्रतीत नहीं होतीं, लेकिन यही छोटी-छोटी सफलताएं हमारे दिमाग के रिवार्ड और मोटीवेशन से प्रभावित होनेवाले सेंटर को सक्रिय करती हैं. दिमाग में होनेवाली यह हलचल से शरीर में टेस्टोस्टेरॉन नामक हॉर्मोन बनता है जिससे हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और और भविष्य में लिए जानेवाले चैलेंज को उठाने के लिए इच्छाशक्ति मिलती है. छोटी-छोटी सफलताएं अर्जित करने से मन में बढ़नेवाला आत्मविश्वास कई महीनों तक बना रहता है.

10. परफ़ेक्शन की खोज मत करो

अपने टारगेट को लेकर परफ़ेक्ट होने की चाह मन में न रखो. परफ़ेक्शन कहीं नहीं होती. कहते हैं कि इंसान गलतियों का पुतला होता है, इसलिए मनुष्य होने के नाते ही हम दोषपूर्ण होते हैं. यदि तुमने मन में परफे़क्ट होने की ठान रखी हो तो असफलता का एक तंतु ही आपको हताश करने के लिए काफ़ी होगा. ऐसे में तुम यही विचारते रह जाते हो कि तुम असफल कैसे हो गए और तुम्हें कैसी गलतियां कर दीं. यदि तुमने परफ़ेक्ट मंसूबे नहीं बनाए होते तो तुम मामूली असफलता से निराश नहीं होते और अपनी छोटी सफलताओं से प्रोत्साहित होकर भविष्य में उससे भी बेहतर की ओर कदम बढ़ाते.

11. समस्याओं के हल पर फ़ोकस करो

तुम्हारी मानसिक दशा का पता इससे चलता है कि तुम अपना ध्यान कहां केंद्रित करते हो. यदि तुम सारा फोकस समस्याओं पर करते हो तो तुम देर तक नहीं छंटनेवाली निगेटिव भावनाओं की रचना करते हो जो तुम्हारी लक्ष्यप्राप्ति के आड़े आ जाती हैं. जब तुम की जानेवाली ज़रूरी कार्रवाई पर फ़ोकस करते हो तो तुम खुद को सुधारते हो और परिस्तिथियों में ऐसे बदलाव लाने की कोशिश करते हो जिनसे पॉज़िटिव भावनाएं जाग्रित होती हैं और परफॉर्मेंस सुधरती है.

12. खुद को माफ़ करना सीखो

तुमसे जब गलतियां हो जाएं तो मुनासिब यही है कि तुम उनसे सबक लो और शर्मिंदा होने की बजाय खुद को माफ़ करके आगे बढ़ जाओ. गिरने पर लगनेवाली चोट के दर्द को सहो, उसकी परवाह और इलाज़ करो लेकिन उसे अपने मन का नासूर मत बनने दो. अपना ध्यान उस बात में लगाओ कि आइंदा तुम उस गलती या असफलता को दोहराने मत दो.
असफलताएं हमारे आत्मविश्वास को तोड़ सकती हैं. ये तुम्हारे मन में ये बता बिठा सकती हैं कि तुम किसी भी चीज के लायक नहीं हो. असफलताएं तभी आती हैं जब तुम कोई रिस्क लेते हो या उस चीज़ को पाना चाहते हो जिसे पाना कठिन है. असफलताओं से दो-चार होते हुए सफलता को प्राप्त करने में ही तुम्हारी असली परीक्षा है, और यह तुम अतीत में रहकर नहीं कर सकते. किसी कीमती चीज़ को प्राप्त करने के लिए तुम्हें गिर-गिर कर उठना होगा, रिस्क लेने होंगे. तुम असफलताओं को यह अधिकार न दो कि वे तुम्हारी योग्यताओं पर हावी हो जाएं. यदि तुम हमेशा अतीत में ही रहोगे तो तुम्हारा अतीत ही तुम्हारा वर्तमान बन जाएगा, जो तुम्हें कभी आगे नहीं बढ़ने देगा.
मैं आशा करता हूं कि ऊपर बताए गए सबक पर ध्यान देने से आपको लाभ होगा क्योंकि मैं वर्षों तक इन्हें अपनाता रहा हूं और इन्होंने सफल आंत्रपेन्यूर बनने में मेरी सहायता की है. सफलता के ये सूत्र बहुत शक्तिशाली हैं और मैं इनपर हमेशा मनन करता रहता हूं.
अपने कैरियर को आकार देने के दौरान आपने कौन से सबक सीखे? कमेंट्स में अपने अनुभव शेयर करें क्योंकि इससे हम सबको एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.

travis_bradberryDr. Travis Bradberry is the award-winning co-author of the #1 bestselling book, Emotional Intelligence 2.0, and the cofounder of TalentSmart, the world’s leading provider of emotional intelligence tests and training, serving more than 75% of Fortune 500 companies. His bestselling books have been translated into 25 languages and are available in more than 150 countries. Dr. Bradberry has written for, or been covered by, Newsweek, TIME, BusinessWeek, Fortune, Forbes, Fast Company, Inc., USA Today, The Wall Street Journal, The Washington Post, and The Harvard Business Review.


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