जीवन में हर किसी को एक अच्छा मेंटर मिले यह जरुरि नहीं है. बहुत लोग ऐसे भी होते है , जिनका पारिवारिक पृष्टभूमि आर्थिक और एजुकेशनल कंडीशन ठीक नहीं है , रूप सेव बहुत ठोस नहीं है . इसके बाद भी ओ सफल होते है और उदाहरण बन जाते है . यह सब कैसे होता है ? क्या यह हर किसी के लिए संभव है? जबाब होगा हां. अगर आप सकारात्मक सोच और खुद पर भरोशा रखते है , तो आप खुद कि बदौलत भी वह उपलब्धि हस्सिल कर सकते है, जिसे विशेस मार्गदर्शन से कोई प्राप्त करता है . आत्म्बिश्वासी कभी निराश या हताश नहीं होते . इसे याद रखे ./
सकारात्मक सोच से आता है बड़ा बदलाव Brea change comes from positive thinking
नकारात्मक पर्स्नो से बचे आगरा एषा करना बहुत आसान न हो , तो कागज -कलम उठाये और सभि नकारात्मक पर्स्नो को लिखना शुरू कर दे . एषा करने से आप नकारात्मक प्रश्नों का प्रवाह थम जायेगा और आप आपने दिमाग के दूसरी दिशा में आसानी से मोर सकेंगे . यह आपको तार्किक भी बनाएगा और सकारात्मक सोच के लिए प्रेरित व्भी करेगा .
सकारात्मक सोच से आता है बड़ा बदलाव Brea change comes from positive thinking
सकारात्मक सोच से आता है बड़ा बदलाव Brea change comes from positive thinking
1. निगेटिव बाते करना बंद करे
यह संभव है कि जब आप कैरिएर के शेत्र में कोई बड़ा कदम उठाते है , तब आपको प्रोत्साहित करने और आपना मार्गदर्सन करने वाला कोई न हो. आपके मित्र और परिवार के सदस्य भी इस स्थिति में न हो कि आपका रह दिखा सकते हो, ऐसे समय में अक्सार देखा गया है कि व्यक्ति कई प्रकार के नकारात्मक पर्स्नो से घिर जाता है . इन पर्स्नो को वे खुद ब खुद पैदा करता है . और खुद को उसकी जद में कैद करता चला जाता है. इससे उसकी सकारात्मक शक्तिया कमजोर होति है. और वह भ्रम व् सशय का शिकार होने लगता है.. इसके बिपरीत जो इनसान खुद से साकारात्मक प्रश्न करता है , तो उसके आत्म्बिश्वास में बढ़ोतरी होति है . इसलिए खुद से सकारात्मक बात करना सीखे .नकारात्मक पर्स्नो से बचे आगरा एषा करना बहुत आसान न हो , तो कागज -कलम उठाये और सभि नकारात्मक पर्स्नो को लिखना शुरू कर दे . एषा करने से आप नकारात्मक प्रश्नों का प्रवाह थम जायेगा और आप आपने दिमाग के दूसरी दिशा में आसानी से मोर सकेंगे . यह आपको तार्किक भी बनाएगा और सकारात्मक सोच के लिए प्रेरित व्भी करेगा .
2. कल्पना के पीछे न भागे .
कभी भी काल्पनिक संभावनाओ का पीछा न करे.
जैसे कि यह सोचना कि ' अगर ऐसा हो जाता '.
यह हैपोथेतिकल स्टेटमेंट है. इसमें जराभी यतार्थ नहीं होता है , बल्कि यह आपकी चिंता और तनाव को भार्काता है .यह आपकी प्रगति कि राह में बाधक बनता है है . यह और आपकी क्षमता को कम करता है . संघर्स और क्ष्रम करने के आपके संकल्प को कमजोर करता है / बनता है. इसलिए ऐसे किसी बिचार के प्रभाव में न आये . सपना देखना और काल्पनिक बातो में उलझना , ये दोनों दो बाते है .
सपने देखना चाहिए ऐसे सपने जिसे रियल में बदला जा सकता है .
ऐसी काल्पनिक बातो को नहीं सोचना चाहिए जिसके सुच होने का कोई अधर नहीं है .
चाहे ओ बात नकारात्मक हो या सकारात्मक .
जैसे कि ' अगर एषा होता, तो कितन अच्छा होता' और ' कही ऐसा तो नहीं हो जायेगा ' ये दोनों हि काल्पनिक बिचार है और इनसे सिवाय नुक्सान के कुछ भी हासिल नहीं होता है.
3. नींद पर ध्यान दे .
अच्छी नींद के महत्त्व को पर कभी कमतर न आंके . आप जब सोते है , तो आपके दिमाग नेयूरौंस से वे हानिकारक तत्व निकलते है , जो कि जागृत अवस्था में बनता है . समस्या इतनी हि है कि दिमाग ये तत्व तभी निकाल सकता है , जब तुम सो रहे हो . यदि आप आणि नींद पूरी नहीं करेंगे , तो ये हानिकारक तत्व आपने दिमाग में मजूद रहेंगे , और आपके सोच बिचार के सकती को शिथिल कर देंगे . इस नुक्सान कि भरपाई आप देर तक जागने के लिए चाय कॉफी पि कर भी नहीं कर सकते है . इसलिए भरपूर काम करने के बाद आप आपने सशिर को भरपूर आराम दे और दिमाग को पूरा आराम भी दे .
आपका आत्म - नियंत्रण , ध्यान और मेमोरी पर्याप्त नींद नहीं मिलने या यही तरीके कि नींद नहीं मिलने से घाट जाती है . नींद कि कमी होने पर किसी तरह का तनाव नहीं होने पर भी कई प्रकार के सट्रेस हार्मोन निकलता है , जो आपकी prodqviti को किल करता है .
कभी कभी ऐसा होता है कि आप काम कि जोश में आपनी नींद को नदेखी करने लगते है . लेकिन एषा करना आपके हित में नही है INSTRN ONTERIYO RISEARCH INSTITUDE में हुई एक रिसर्च से यह पत चला कि १० सप्ताह तक दिन में दो बार EXERSIZE करनेवाले व्यक्ति अधिक सोशल , अकेडमिक और एथलेटिक होते है , और उनके आत्म्बिश्वास भी अधिक होता है वे आपनी बॉडी image के लेकर सजग होते है और उनके आत्म्बिश्वास का भी स्तर बहुत अच्छा होता है.
सबसे अच्छी बात यह है कि exersize करने से उनके शारीर में बध्नेवाले लाब्व्ह्दायक हार्मोन तत्काल हि सरीर में को positive energy se bhar dete hai . हलाकि शारीर में बढ़नेवाले लाभदायक हार्मोन तुरंत पॉजिटिव एनर्जी से भर देता है.हालाँकि शारीर में होने वाले फिजिकल परिवर्तन भी आत्म्बिस्वास के लेवल को बस्ट करने में सहायक होते है . आप आपने दिन भर के काम से तालमेल रखते हुए EXCERSIZE को इस तरह से प्लेन करे कि यह छुट नहीं जाएँ . अन्यथा आपका पूरा दिन बर्वाद हो जायेगा .
4. छोटी छोटी जित पर केन्द्रित करे
जब हम किसी बड़ी चीज के होने कि ऊम्मीद कर रहे होते है , तो छोटी- छोटी सफलताये बहुत महत्वपूर्ण प्रतीत नहीं होति, लेकिन यही छोटी- छोटी सफलताये हमरे दिमाग के रिवार्ड और मोटिवेशन से प्रभावित होनेवाले सेण्टर को सक्रिय करती है . दिमाग में होनेवाली इस हलचल से शारीर में testoran नमक हार्मोन बनता है . जिससे हमारे आत्म्बिस्वाश में ब्रिधि होति है और भविष्य के लिए जानेवाले बदलाव को उठाने के लिए इचाचासक्ति मिलती है . छोटी छोटी सफलताये अर्जित करने से मन में बध्नेवाले आताम्विश्वास कई महीनो तक बना रहता है .
5 . परफेक्शन कि खोज न करे .
आपने टारगेट को लेकर आपने मन में छह ना रखे . परफेक्शन कही नहीं होति है . कहते है कि इनसान गलतियों का पुतला होता है , इसलिए हम मनुष्य होने के नाते हम दोस पूर्ण होते है .अगर आप आपने मन में परफेक्ट होने कि थान रखी है तो , आपको असफलता का एक हि तंतु आपको हाताश कर देगा . भविष्य में उस से बेहतर कि और कदम बढ़ाते है.
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