स्टीव जॉब्स एप्पल कंपनी का संस्थापक [स्टीव जॉब्स ] का स्टोरी
जीवन कभी - कभी चोट तो देता है , पर आस्था न खोये
- यदि सफल होना है , तो किसी का इन्तजार किये बिन अकेले चलना सीखना होगा..
ये स्टीव जॉब्स जी ने कहे कि यदि जीवन में सफल होना है ,तो किसी का इन्तजार किये बिना अकेले चलना सीखना होगा..
आपको आपने प्रिये तक पहुचना हि चाहिए
तकनीक कि दुनिया में युगांतकारी बदलाव् लाने वाले स्टीव जॉब्स हमेशा कहते थे-- थिंक डीफफ्रेंट.....
जीवन में संघर्स के जरिये मुकाम हस्सिल करने वाले , जॉब्स ने bussines मॉडल को न्यू परिभाषा दी थी, मतलब न्यू deffinetion दिया .
वो एषा मानते थे कि अगर जीवन में हमें सफल होना है , तो किसी का इन्तजार किये बिना अकेले चलना सीखना होगा.
स्टीव जॉब्स का कड़ी स्पीच...
स्टीव जॉब्स ::-
इन्होने आपने बदौलत इस दुनिया में एक अलग हि पहचान बनाया . जो आज बहुत मायेने रखते है..
विश्व के सर्वश्रेष्ट विश्वविदालय में सुमार इस संस्थान से ग्रेदुअते बन कर आपके निकलते वक्त साथ मौजूद हो कर मै सम्म्मानित महसूस कर रहा हु. मै किसी कॉलेज से ग्रेजुएट नहीं हुआ . सच कहू , तो किसी ग्रेजुएशन तक पहुच पाने का आज हि मौका मिला है. मै अआपके सम्मुख कोई लम्बा व्याखान नहीं दूंगा , बल्कि आपने जीवन कि तीन सिर्फ तीन काहानिया सुनाऊंगा. पहली कहानी जीवन कि अस्पस्ट सी लगती घटनाओं का अर्थ बाद में समझ पाने से सम्बन्ध है. मैंने पहले 6 मानिनो तक पढने के बाद भी रीड कॉलेज कि पढाई छोर दी. मै आपको ये बताना चाहूँगा कि मैंने एषा क्यों किया .यह कहानी मेरे पैदैस से भी पहले प्रारंभ है..
मुझे जन्म देने वाली माँ एक कॉलेज में पढ़ी छात्रा थी और उसने यह तय कर राखी थी कि , कि कॉलेज में पढ़े लिखे किसी दम्पति को गोद दे देगी.. इसकी साडी तैयारी भी हो चुकी थी..
मुझे जन्म देने वाली माँ एक कॉलेज में पढ़ी छात्रा थी और उसने यह तय कर राखी थी कि , कि कॉलेज में पढ़े लिखे किसी दम्पति को गोद दे देगी.. इसकी साडी तैयारी भी हो चुकी थी..
par huaa aisha ki jab maine is duniya me ankhe kholi , mujhe god lene ke liye yaitaar dampati ne antim palo me यह फैशाला किया कि ओ किसी बालिका को हि गोद लेगी.तब पर्तीक्षा सूचि में दुश्रे स्थान पर मेरे परसेंट माता पिता. को अधि रात को फ़ोन कर पूछा गया कि क्या आप एक बच्चे को गोद लेंगे.? उनका उतर था कि बिलकुल लेंगे. मेरी माँ को बाद में पत चला कि मेरी माता किसी कॉलेज में नहीं पढ़ी थी और मेरे पिता तो हाई स्कूल भी उतरीं नहीं थे.. इश पर मेरी माँ ने गोद देने के कागजात पर दस्खत करने से इनकार कर दिए, और कुछ महीनो बाद ओ तभी राजी हुई.. कि मेरे माता पिता उसे बचन दिए कि उसे कॉलेज जरुर भेजेंगे..१७ वर्षो बाद मै कॉलेज तो चला गया . पर मैंने आपनी नादानी में एक एषा कॉलेज चुन लिया , जो आपके स्टैनफोर्ड जैशा हि महंगा था . और मेरे वह के पढाई में मेरे कामगार माता पिता साडी पूंजी निकली जा रही थी. 6 महिना बाद ,मुझे इसमें कोई सार नजर नही आये. मै नहीं जनता था कि जीवन में मुझे क्या बनना है और मुझे यह भी समझ नहीं आ रहा था कि किस तरह कॉलेज इसमें मेरी सहायता कर सकता है. इसलिए,जो होगा सब ठीक होगा , एषा मानते हुए. मैंने कॉलेज कि पढाई को अलबिदा कह दिया , यह वक्त तो यह खासा डरावना लग रहा था ,पर पीछे देखने पर यह अब मेरे जीवन का सबसे बेहतरीन फैश्लो में से एक लगा करता है., जैसे हि मैंने कॉलेज चोर मेरा उस क्ष में जाने कि बाध्यता समाप्त हो गयी.;
जिनमे पढाये जाने वाले सब्जेक्ट जिनमे मुझे तनिक भी दिलचस्पी नहीं थी., और उन कक्षों का द्वार पूरा खुल गे जिस में हमें रूचि थी.
अब मै उस में पूरी रूचि ले सकता था.
- सकरात्मक सोच से आता है ,इनसान के अंदर एक बहुत बड़ा बदलाव.?
- छलांग लगाने से पहले कंपनी का अछे से पता लगा ले?
यह saबसे मजेदार यो नहीं थी. अब मुझे होस्टल का कमरा भी उपलब्धी न था. सो मै दोस्तों,के कमरे में फर्स पर सोया करता था.,कोक कि खली बोतल बेच कर खाने कि पेशा जुटाया करता था. और हर रविवार सात किलोमीटर पिडल चल कर श्री कृष्ण मंदिर पहुचता , ताकि सप्ताह में कम से कम एक बार अच्छा खाना मिल सके, या खा सकू. किन्तु अपनी जिझ्याषा और अंतर कि प्रेरणा से मैंने यह जो कुछ किया . वः बाद में चल कर मेरे लिए बहुत मुल्य्बान सीधी हुआ.
मै आपको इसकी एक मिसाल देना चाहूँगा- उन दिनों रीड कॉलेज सुंदर तथा कलात्मक हस्तलिपि के प्रिशिक्षण के लिए संभवत; अमेरिका का सर्वोतम केंद्र था ,चुकी मै अपनी समान्य कक्ष्ये छोर चूका था. अत: मैंने हस्तलिपी कि क्ष ज्वाइन करने का फैश्ला किया और वह हाँथ तथा छपाई के सुंदर अक्षरों कि जिन बारीकियो से मेरा परिचय हुआ, वः; सब मुझे अत्यंत अकर्सन लगा.उस वक्त मेरे जीवन में इनके किसी व्यवहारिक इस्तेमाल कि कोई सम्भावना न थी. मगर एक दशक बाद , जब हमने आपने मैक[ मकिन्तोश] कोउम्पुटर कि desine में लगे थे, अचानक ये सब मेरे काम आ गया और हमने उसमे तरह तरह के फौल्ट डाले., चुकी फिर विंडोस ने बस यही चीज मैक से कॉपी कर ली, तो सम्भावना यही बनती है. यदि मैंने सुलेखन कि वे कक्षाए न कि होति ,तो आज किसी भी किस्म के पर्सनल कोउम्पुटर में वे उत्कृत नहीं होते व्. जो उनमे हुआ करते है.
आप जीवन कि अस्पस्ट सी लगती घटनाओं के अर्थ आगे देखते हुए नहीं बल्कि पीछे देखते हुए. पीछे देख कर हि हि समझ सकते है. यह आप यकीं कर सकते है. कि ये घटनाये किसी - न किसी तरह भविष्य में हि साफ़ हो सकेंगी. इसके लिए आपको किसी चीज में आस्था टिकाये हुए रहना होगा.. - उसे आप अत; प्रेरणा भक्तिव्यता, ज़िन्दगी या कर्म, चाहे जो भी कह ले . मेरे इस नजरिये से मुझे कभी धोखा नहीं हुआ और इसी से मेरे जीवन के सारे बदलाव मुमकिन हो सके.
मेरे जीवन के सारे बदलाव मुमकिन हो सके.
मेरी दूसरी खानी प्रेम और उसे खोने का बिषय में है..
मै इस मामले में भाग्यशाली रहा कि मैंने जो करना चाहा, उसे जीवन में पा हि लिया. स्टीव वाजनीएक और मैंने जब मेरे माता -पिता के गेरेज में एप्पल कि शुरुआत कि,तब मै बस 20 बरस का था. हमने कड़ी मेहनत कि और १० वर्षो में हि एप्पल हम दो जाने से बढ़ कर दो अरब डोलर कि कंपनी में बदल गयी जिसमे 4000 कर्मचारी काम करते थे , एक वर्ष पह्ले हमने सबसे बेहतरीन उत्पाद ,मैकिन्टोश का श्रृजन किया था और मै अभी अभी 30 वर्षो का हुआ था, तभी अचानक कमपनी ने हमें निकाल दिया .
मै लगभग निश्चित हु कि यदि मुझे एप्पल से नहीं निकला गया होता , तो इनमे से कुछ भी न हुआ होता _ दावा कडवी तो लगी , पर मेरा अनुमान है कि मरीज को उसकी जरुरत थी. जीवन आपको कभी कभी चोट जरुर पहुचता है , पर आप आपनी आस्था न खोये. मुझे पूरा यकीं है कि जो एक चीज मुझे आगे बढाती रही , वह आपने काम से प्यार थी.
एकऐसा कंपनी जिसे आपने हि खरी कि हो,उससे आपको निकला कैसे जा सकता है? दरअसल में हुआ एषा कि जब एप्पल का विकाश हुआ , तो हमने उस में एक व्यक्ति को भारती किया ,जिसके बारे में मेरी धरना थी कि ओ मेरे साथ मिल कर उसे भली बहती चला सके. कुछ दिनों तक ओ सब ठीक रहा . मगर फिर भविष्य को लेकर हमारा विज़न अलग होते गए. और अंतत: वह बिंदु आ गए . जब हमें अलग होना हि था. और जब हमने जोर देना अज्मैस कि तो कंपनी का मंडल उशी आदमी का साथ देना मंजूर किया और इस तरह , जिसमे मैंने आपनी साडी एनर्जी power laga di . usi se bahar kar diya gaya.
mai tut saa gaya . kuch mahino tak mujhe samjh me nahi aaya ki mai kya karu. akhir mai karu kya . mai sabhi trah se bifal sabit ho chuka tha. aur maine silicon waili chor dene tak ke vishy me bhi soch liya tha., ha lekin mujhe deere deere yah pratitr hone laga ki jo mai kar raha tha, usme mera pyaar ab bhi kayam hai. , mera pyar aapni jgah ab bhi kayam hai. so maine ekbaar fir se shuruaat karne ka faishla kiya ..
तब मै इसे नहीं समझ पाया ,पर बाद में मुझे महसूस हुआ कि एप्पल से मुझे निकला जाना मेरे जीवन सबसे सृजनात्मक दौर में प्रेबेश करने को उन्मुक्त कर दिया. आगले पञ्च वर्षो के दौरान मैंने नेक्सस नमक , कंपनी और फिर पिक्सर नाम कि दूसरी कंपनी शुरू कि और एक ऐशी कमाल कि महिला से मोहब्बत कि जो बाद में मेरी पत्नी बनी . पिक्सर ने फिर टॉय स्टोरी नमक विश्व कि पहली कंप्यूटर अनिमेटेड फीचर फिल्म बनाई और वह अब विश्व कि सबसे सफल अनिमेतिओं स्टूडियो है . फिर कुछ अनोखा संयोग से फिर एप्पल ने नेच्क्सोस को खरीद लिया , और मै पुन: एक बार एप्पल में आ गया ..नेक्सस में जो हमने टेक्नोलॉजी बिकसित कि थी , आज वही एप्पल के नव कलेवर के केंद्र में स्थित है और लोरिन और मेरा एक बेहतरीन परिवार है.
मै निश्चित हु कि अगर मुझे एप्पल से निकला नहीं गया होता तो , ये इनमे से कुछ भी नहीं हुआ होता . दावा कडवी तो लगी , पर मेरा अनुमान है कि मरीज को उसकी जरुरत भी थी . जीवन कभी कभी आपनो को चोट जरुर पहुचता है. पर आपनीं आस्था न खोये. मुझे पूरा यकीं जो एक चीज मुझे आगे बदाय . वह आपने काम से प्यार थी .आप किस चीज से प्यार करते है .इसकी तलाश आपको हि करनी है. यह आपके काम के लिए जितना सच है, उतना आपके प्रिये व्यक्ति को लेकर भी है. आपका काम आपके जीवन के एक बड़ा हिस्सा होने जा रहा है. और सच्ची संतुस्ती हासिल करने के लिए आपको वह करने कि जरुरत है. जिसके बारे में आपको यह यकीं हो कि यह एक महँ कार्य है. और एक महँ कार्य करने के एक तरीका यही है. जो आप करते है. उससे आपको प्यार हो. यदि आप अब तक उसे नहीं पा सके , तो उसकी तलाश में लगे. समझौता न करे . दिल से सम्बन्धी चीजो के भांति जब आप अपना प्रिये काम तलाश लेंगे , तब आप जान जायेंगे, और किसी भी महान रिश्ते कि तरह साल दर साल , आपका वह काम बेहतर से बेहतरीन होता चला जायेगा.\
मेरी तीसरी कहानी मौत के बिषय में?
मै जब 17 वर्ष का था तब मै किसी कि कही एक बात पढ़ी , जो कुछ इस तरह थी : ' यदि आप हर दिन इस बहती जिए जैसे वह आपका अंतिम दिन है. तो एक दिन आप निश्चित रूप से नसाही होंगे. इसक मुझ पर गहरा असर परा तब से लेकर पिछले 33 वर्सो के दौरान मै रोजाना सुबह आइने के सामने जाकर खुद से पूछता रहा हु: यदि आज मेरे जीवन का अंतिम दिन हो. तो क्या मै वह करना चाहूँगा, जो मै करना चाहता हु , या जो मै करने जा रहा हु.? और जब भी कई दिनों तक इसक उतर न मिले , तब समझ लेना कि मुझे कही से कुछ तब्दील करने कि जरुरत है.
यह याद रखना कि मै जल्दी मरने वाला हु . मुझे मिला एषा सब्स्ज़े अहम् साधन है, जिसने आपने जीवन में बड़े फैशाले करने में मेरी मदद कि है.क्यूंकि लगभग सभि चीजे -सभि उम्मीद , सभि तरह के दंभ , सर्मिंदगी तथा नाकामी के सरे भय, मृतु के सामने बिलकुल नहीं टिकती. बस सिर्फ वही टिका रहता है, जो सचमुच अहम् होता है. यह आपके द्वारा कुछ खो देने के भय से बचने का मेरी जानकारी में सबसे अच्छा उपाय है .आप तो पहले से हि नग्न है. इसलिए ऐशी कोई वजह नही हो सकती कि आप आपने ह्रदय का अनुसरण न करे.
लगभग एक वर्ष मुझे पहले पत चला कि मै पैनक्रियाज के एक ऐसे कैंसर से पीड़ित हु. जो असाध्य है , और मै बस तीन से छह : महिना जीवित रहने का आशा कर सक्तु हु. मेरे डॉक्टर ने मुझे बाय सलाह दी कि , मै इस बीच साडी बंकि बकाया काम निपटा लू. .किन्तु फिर उसी din , आगे कि जाँच से यह पत चला कि मेरा कैंसर उस अनोखे किस्म का है .. जिसे ओप्रतिओं से ठीक किया जा सकता है आखिर वह ओप्रतिओं हुआ , और मै स्वस्थ हु.
यह मेरा मौत से सबसे करीब सामना था . और आशा है , कुछ के दशक और मिल सके. रोज रोज मृतु कि कल्पना को खुद के लिए लाभदायक पाने कि बजाये सचमुच उसके इतने करीब पहुच कर मै अब और ज्यदा यकीं के साथ कह सकता हु ,,कि कोई भी मरना नहीं चाहता . यहाँ तक कि जो लोग स्वर्ग जाना चाहते है . वो भी वह पहुचने के लिए मरना नहीं चाहते. फिर भी मौत मंजिल है . जहा हम सब को जाना है है.अब तक उस से कोई बच नहीसका .और मौत को waisha हि होना चाहिए, क्यूंकि वह जीवन का सबसे बड़ा आविष्कार है, संभवत: , जीवन में परिवर्तन का वह वाहक है., जो पुराने को हटा कर नए का रास्ता साफ किया करता है., आप अभी नए है, पर वह दिन बहुत दूर नहीं , जब आप पुराने पड़ते जायेंगे और अंतत; हटा दिए जायेंगे.
aapka samay simit hai , ise kisi any ka jivan jeete huye vyrth na gawaye. रुदियो ke फंदे में न पड़े.- जिसका अर्थ है दुसरे व्यक्तियों कि सोच के नतीजे के साथ है, दुसरो के विचारो के शोर- शराबे में आपनी अअंतरात्मा कि आवाजे को गम न होने दे . सबसे अहम् यह है कि आपने ह्रदय तथा अंतर कि प्रेरणा का अनुशरण करे या करने का सहस पैदा करे.. बंकि साडी चीजे गौण है.
थॉट्स ... हमेशा भूखे रहे और , हमेशा बुधु रहे..
( यह भासन 12 जून 2005 को स्टैनफोर्ड univercity के दिशांत समारोह में दिया गया था. यह लिखित न्हासन था)
दोस्तों, अगर आप सब को अच्छा लगा तो आप इसे शेयर जरुर करे..
- सकरात्मक सोच से आता है ,इनसान के अंदर एक बहुत बड़ा बदलाव.?
- छलांग लगाने से पहले कंपनी का अछे से पता लगा ले?
यह saबसे मजेदार यो नहीं थी. अब मुझे होस्टल का कमरा भी उपलब्धी न था. सो मै दोस्तों,के कमरे में फर्स पर सोया करता था.,कोक कि खली बोतल बेच कर खाने कि पेशा जुटाया करता था. और हर रविवार सात किलोमीटर पिडल चल कर श्री कृष्ण मंदिर पहुचता , ताकि सप्ताह में कम से कम एक बार अच्छा खाना मिल सके, या खा सकू. किन्तु अपनी जिझ्याषा और अंतर कि प्रेरणा से मैंने यह जो कुछ किया . वः बाद में चल कर मेरे लिए बहुत मुल्य्बान सीधी हुआ.
मै इस मामले में भाग्यशाली रहा कि मैंने जो करना चाहा, उसे जीवन में पा हि लिया. स्टीव वाजनीएक और मैंने जब मेरे माता -पिता के गेरेज में एप्पल कि शुरुआत कि,तब मै बस 20 बरस का था. हमने कड़ी मेहनत कि और १० वर्षो में हि एप्पल हम दो जाने से बढ़ कर दो अरब डोलर कि कंपनी में बदल गयी जिसमे 4000 कर्मचारी काम करते थे , एक वर्ष पह्ले हमने सबसे बेहतरीन उत्पाद ,मैकिन्टोश का श्रृजन किया था और मै अभी अभी 30 वर्षो का हुआ था, तभी अचानक कमपनी ने हमें निकाल दिया .
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