Sunday, 4 December 2016

kis bhartiye ko kab aur kyu mila novel

किस भारतीय को कब और क्यों मिला नोबेल पुरस्कार

नोबेल पुरस्कार प्राप्त भारतीय

Indians Who Won Nobel Prize [Hindi]

नोबेल प्राइज का इतिहास / History of Nobel Prize in Hindi

स्वीडन के प्रसिध्द वैज्ञानिक और डायनामाईट के आविष्कारक अल्फ्रेड बी. नोबेल ने मरते वक़्त अपनी वसीहत में लिखा कि –
मेरी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा एक फण्ड में डाला जाए और उसके ब्याज को हर साल मानवजाति की सेवा करने वाले लोगों को पुरस्कार के रूप में दिया जाए.
alfred-nobelतभी से उनकी मृत्यु के पश्चात प्रतिवर्ष भौतिकी, रसायन, अर्थशास्त्र, चिकित्सा, साहित्य और शांति के क्षेत्रों में अद्वितीय काम करने वालों को पुरस्कृत किया जाता रहा है. उन्होंने  ऐसा करने का कोई स्पष्ठ कारण तो नहीं बताया लेकिन माना जाता है कि उन्हें अन्दर ही अन्दर इस बात का अफ़सोस था कि उनके आविष्कारों को युद्ध में प्रयोग किया जाता है जिससे हज़ारों लोगों की मौत होती है.
नोबेल प्राइज दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माने जाते हैं और निश्चित ही इन्हें पाने वाले पूरी विश्व द्वारा सम्मानित होते हैं और लाखों करोड़ों लोगों को अपने-अपने क्षेत्रों में अच्छा करने की प्रेरणा देते हैं. और आज हम आपको ऐसे ही भारतीयों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अपने उत्कृष्ट कार्यों से यह पुरस्कार जीता और पूरे देश को गौरवान्वित किया.
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ऐसे भारतीय जो नोबेल प्राइज पाते समय भारत के नागरिक थे

नाम कब, किस क्षेत्र मेंक्यों 
रविंद्रनाथ ठाकुर1913 – साहित्य‘गीतांजलि’ की रचना के लिए
डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन1930 – भौतिकीप्रकाश के प्रकीर्णन की खोज पर
मदर टेरेसा1979 – शांतिदीन – दुखियों की सेवा के लिए
डॉ. अमर्त्य सेन1998 – अर्थशाश्त्रअर्थशास्त्र का कल्याणकारी पहलू उजागर करने पर
कैलाश सत्यार्थी2014 – शांतिबाल-श्रमिकों को बचाने के लिए


विश्वकवि गुरूदेव रविंद्रनाथ ठाकुर / Rabindranath Tagore (1867-1941)

Rabindranath Tagore Quotes in Hindi
कोलकाता में जन्में विश्वविख्यात साहित्यकार और शिक्षा शास्त्री रविंद्रनाथ ठाकुर को सन 1913 में उनकी कृति ‘गीतांजलि’ के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया था. ये सम्मान पाने वाले वे पहले भारतीय थे. कवि के साथ-साथ वे उपन्यासकार, नाटककार, कहानीकार, कला प्रवीण, पत्रकार, अध्यापक और तत्वज्ञानी भी थे. कवि रविन्द्र ने सन 1901 में शान्ति निकेतन की स्थापना की थी, जो अब विश्वभारती विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है. यह महान शिक्षा संस्थान, रविंद्रनाथ ठाकुर का अद्वितीय स्मारक है. भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन…’ की रचना गुरूदेव रविन्द्रनाथ ने ही की थी.
उनकी ये पंक्तिया हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं:
“जहाँ मन निर्भय हो और सिर ऊंचा रखा जा सके,
जहाँ संकीर्ण घरेलू दीवारों के कारण, संसार टुकड़ों में बंटा न हो.
परम पिता, स्वाधीनता के उस स्वर्ग में,
मेरा देश जाग्रत हो…”

डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन /  C. V. Raman (1889-1970)

Indians Who Won Nobel Prize in Hindi नोबेल पुरस्कार प्राप्त भारतीय भौतिक विज्ञान शास्त्री डॉ. वेंकट का जन्म तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के पास तिरुवानैक्कवल में हुआ था. उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज मद्रास में शिक्षा पाई थी, प्रकाश के प्रकीर्णन पर अध्ययन के लिए सन 1930 में डॉ. रमन को भौतिकी क्षेत्र में ‘नोबेल पुरस्कार’ प्रदान किया गया. उनकी खोज को ‘रमन प्रभाव / Raman Effect’ नाम दिया गया.
विज्ञान में रमन की प्रतिभा और लगन देखते ही बनती थी. एम. एस. सी. की परीक्षा में वे चेन्नई विश्वविद्यालय में प्रथम आये.
वे कोलकाता में डिप्टी अकाउन्टेंट जनरल से पदोन्नत कर अकाउंटेंट जनरल बनाये गये, तब यह पद सिर्फ अंग्रेजों को ही मिलता था, किन्तु रमन के युवा मन ने अपने विज्ञान प्रेम पर इन ऊंचे पदों को बलिदान कर दिया और वे कोलकाता के साइंस कॉलेज में भौतिकी के प्राध्यापक बन गये. वहीँ उन्होंने प्रकाश सम्बन्धित वह खोज की और नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया.
उन्हें भारत सरकार का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न ’ सन 1945 में मिला. डॉ. रमन ने बैंगलोर में ‘रमन रिसर्च संस्थान’ की स्थापना की. सन 1970 में इस महान वैज्ञानिक का 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया.

मदर टेरेसा / Mother Teresa (1910- 1997)

Mother Teresa Quotes in Hindi
मदर टेरेसा का जन्म युगोस्लाविया में एक अल्बानियाई दम्पत्ति के यहाँ हुआ था. पहले उनका नाम एग्नेस था. भारत में वे 18 वर्ष की आयु में ईसाई धर्म के मिशनरी में कोलकाता आई थीं. उन्होंने दो वर्ष प्लारेंटों संघ (कान्वेंट) में शिक्षा का काम किया, किन्तु वे दीनों अनाथों और रोगियों की दशा से द्रवित हो, उनकी सेवा सुश्रुता में प्रवृत्त हो गई. अब उनका नाम एग्नेस के बजाय टेरेसा हो गया जो दीन-दुखियों की सेवा का पर्याय बन गया.
मदर टेरेसा ने ‘मिशनरीज ऑफ़ चैरेटी’ नामक संस्था बनाई जिसका काम तेजी से बढ़ा. भारत में तो उनके सेवा केंद्र थे ही, अन्य देशों में भी लगभग 600 सेवाकेन्द्रों की स्थापना मदर टेरेसा ने की.
वे सन 1948 में भारत की नागरिक बनीं. मदर टेरेसा के सेवा कार्य पर किसी जाति-धर्म सम्प्रदाय का ठप्पा लगाना ठीक नहीं! मदर टेरेसा ने एक महान साध्वी के रूप में अपना सारा जीवन, नीली किनारी की दो सादी धोतियों में बिताया. उनकी संस्था को सन 1950 में वेटिकन के पोप ने मान्य किया था… मदर टेरेसा की निःस्वार्थ सेवा से प्रभावित होकर और विश्व की अनेक संस्थानों ने उन्हें पुरस्कार और सम्मान प्रदान किये.
सन 1979 में उन्हें ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ से सम्मानित किया और सन 1980 में भारत सरकार ने मदर को भारत रत्न अलंकरण से सम्मानित किया. सन 2003 में उन्हें “धन्य” घोषित किया गया. भारतीयों को इस बात का गर्व है कि मदर टेरेसा ने भारत को ही जाने के बाद भी विश्व भर को अपनी सेवा के दायरे में लिया. सन 1997 में परम साध्वी मदर टेरेसा का देहांत हो गया.

अर्थशास्त्री डॉ. अमर्त्य सेन / Dr. Amartya Sen (जन्म -1932)

Indians Who Won Nobel Prize in Hindi नोबेल पुरस्कार प्राप्त भारतीय अर्थशास्त्री डॉ. अमर्त्य सेन का जन्म शांति निकेतन कोलकाता में हुआ था. रविन्द्र बाबू ने ही उनका नाम अमर्त्य सेन रखा था. अमर्त्य सेन की प्रारंभिक शिक्षा शांति निकेतन में ही हुई थी. सन 1953 में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त की. फिर इंग्लैण्ड में कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से उन्होंने अर्थशास्त्र में एम.ए. तथा पीएच.डी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं.
इंग्लैण्ड में शिक्षा पूरी कर अमर्त्य सेन भारत लौटे और उन्होंने जावदपूर विश्वविद्यालय दिल्ली के स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स में कुछ दिन काम किया. सन 1971 के बाद वे इंग्लैण्ड के लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में प्रोफ़ेसर रहे. फिर अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कार्यरत रहे. जब अर्थशास्त्री डॉ. अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ, तब वे ट्रिनिटी कॉलेज में अध्यक्ष पद पर आसीन थे. वे प्रत्येक वर्ष भारत अवश्य आते थे.
डॉ. अमर्त्य सेन शांति निकेतन में रहकर अपनी माता को आज भी उसी प्रकार सम्मान देते हैं, जिस प्रकार किसी भारतीय को देना चाहिए. प्रो. अमर्त्य सेन ने अर्थशास्त्र के कल्याणकारी स्वरूप पर अनेक पुस्तकें लिखीं हैं. उनकी लिखी विशिष्ट पुस्तकें हैं- ‘थ्योरी ऑफ़ सोशल च्वाइस’ , डेफिनिशन ऑफ़ वेलफेयर एंड पावर्टी और स्टडी फेमिन’
इन्हीं पुस्तकों को आधार मानकर उन्हें 1998 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
प्रो. अमर्त्य सेन ऐसे अकेले अर्थशास्त्री हैं जिन्होंने अर्थशास्त्र के क्लासिकल नैतिक मूल्यों और मानवीय आग्रहों से अर्थशास्त्र की गरिमा को बढाया है.

कैलाश सत्यार्थी / Kailash Satyarthi ( जन्म – 1954)

Kailash Satyarthi Quotes in Hindi
2014 के Nobel Prize Winners की सूची में एक और भारतीय नाम जुड़ गया – कैलाश सत्यार्थी. मध्य प्रदेश में जन्मे कैलाश जी को पाकिस्तान की मलाला युसुफ़जई के साथ नोबल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया.
उन्हें यह पुरस्कार मिला लाखों-करोड़ों बच्चों का जीवन सुधारने के लिए.  कैलाश जी के चलाये गए  बचपन बचाओ आन्दोलन के अंतर्गत दुनिया भर के 1 लाख से अधिक बच्चों को मानव-तस्करी, गुलामी और बाल-श्रम के कुचक्र से आज़ादी दिलाई जा चुकी है.

ऐसे भारतीय जो नोबेल पुरस्कार पाते समय अमेरिका के नागरिक थे 

 नाम         कब, किस क्षेत्र में                     क्यों        
हर गोबिंद खोराना
(जन्म-रायपुर)
1968- मेडिसिनप्रोटीन सिंथेसिस के अध्यन पर
डॉ. सुब्रह्यण्यम चंद्रशेखर
(जन्म- लाहौर, तब भारत का हिस्सा)
1983 – भौतिकीतारो की रचना के अनुसन्धान पर
वेंकटरमण रामकृष्णन            (जन्म- चिदंबरम) 2009- कैमिस्ट्रीRibosome के स्ट्रक्चर के अध्यन पर
इसके आलावा कुछ ऐसे लोग भी हुए हैं जिनका जन्म भारत में हुआ लेकिन वे विदेशी नागरिक थे- रोनाल्ड रोस, अल्मोड़ा में जन्मे ब्रिटिश नागरिक जिन्हें मलेरिया के अध्यन के लिए 1902 में मेडिसिन का नोबेल प्राइज मिला और रुडयार्ड किपलिंग, मुंबई में जन्मे ब्रिटिश नागरिक जिन्हें उनके लेखन के लिए 1907 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला.
तो दोस्तों, ये थी list of Indian Nobel Prize Winners. हमारे देश के potential के हिसाब से ये लिस्ट बहुत छोटी है लेकिन आने वाला समय हम भारतीयों का ही है और निश्चय ही आगे इस सूचि में बहुत से भारतीय नाम जोड़े जायेंगे.

धन्यवाद!
किरण साहू

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