Thursday, 30 March 2017

भारतीय संविधान एवं संविधान का निर्माण Indian Constitution and Construction of the Indian Constitution


भारतीय संविधान एवं संविधान का निर्माण Indian Constitution and Construction of the Indian Constitution


संविधान क्या है
ऐसा लेख पत्र या दस्तावेज जो सरकार की रुपरेखा व प्रमुख कृत्यों का निर्धारण करता है, इसे देश की सर्वोत्तम आधारभूत विधि कहा जा सकता है। यह वही दस्तावेज है, जो राज्य के समस्त अंगोँ (विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) को शक्तियाँ प्रदान करता है। इन तीनो को संविधान की मर्यादाओं मेँ रहकर अपने कर्तव्योँ का निर्वहन करना होता है। इसे आसानी से बदला नहीँ जा सकता है।
  • अंग्रेजी भाषा के कांस्टिट्यूशन शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द कांस्टिट्यूट से हुई, जिसका अर्थ शासन करने वाला सिद्धांत है।
  • जिस देश का शासन जिन नियमों एवं सिद्धांतों के अनुसार चलता है, उन सिद्धांत या नियमों को समूह को संविधान कहा जाता है।
  • संविधान इन कानूनों या नियमों के समूह को कहते हैं, जो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से राज्य की सर्वोच्च सत्ता की शक्ति के वितरण और प्रयोग को निश्चित करता है।
  • आधुनिक युग मेँ संसार मेँ सर्वप्रथम लिखित संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका का है जो, 1787 मेँ फिलाडेल्फिया सम्मेलन के बाद बनाया गया था।
  • यूरोप मेँ सबसे पहला संविधान नीदरलैंड मेँ बना जो वर्तमान मेँ विद्यमान है।
संविधान की परिभाषा
  • संविधान एक मौलिक दस्तावेज एवं देश की सर्वोच्च विधि माना जाता है।
  • यह राज्य के अंगों की शक्तियोँ का निर्धारण एवं करता है।
  • यह आज के अंगोँ को अधिकार को मर्यादित कर उन्हें निरंकुश एवं तानाशाह होने से रोकता है।
  • वस्तुत का संविधान देश की जनता की आशाओं एवं आकांक्षाओं का पुंज होता है।
संविधान सभा के चरण
चरणअवधिकार्य
प्रथम6 दिसंबर 1946 से 14 अगस्त 1947कैबिनेट मिशन के अंतर्गत संविधान सभा के कार्य
द्वितीय15 अगस्त 1947 से 26 नवम्बर 1949संविधान सभा संप्रभुता संपन्न निकाय तदर्थ संसद के रूप में
तृतीयसंसद के रूप में
संविधान का उद्देश्य
  • सरकार के अंगो का सृजन करना जैसे - विधान पालिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका आदि।
  • सरकार के अंगो की शक्तियों जैसे – कर्तव्यों, दायित्वों आदि को निर्धारित करना।
  • सरकार के सभी अंगो के बीच संबंधोँ को स्पष्ट करना।
संविधान का प्रयोग
  • संविधान का निर्माण सर्वप्रथम एथेंस (यूनान) से हुआ था। आधुनिक युग में अमेरिका का संविधान बना जो लिखित रुप मेँ था।
  • इंग्लैण्ड को संसदीय सरकार का उद्गम स्थान कहा जाता है एवं संयुक्त राज्य अमेरिका को अध्यक्षात्मक सरकार का जन्मदाता मानते हैं, तथा स्विट्ज़रलैंड को गणतंत्रीय लोकतंत्र की जननी कहा जाता है।
  • नागरिको के मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्यों, नीति निर्देशक तत्वों आदि का उल्लेख करना।
संविधान निर्माण की क्रमिक मांग
  • सैद्धांतिक रुप से संविधान सभा का विचार ब्रिटिश सरकार सर हैनरी मैन ने प्रस्तुत किया था तथा व्यवहारिक रुप से सबसे पहले संविधान निर्माण के लिए अमेरिका मेँ संविधान सभा का गठन किया गया था।
  • संविधान सभा के सिद्धांत के दर्शन सर्वप्रथम 1895 के स्वराज विधेयक मेँ होते हैं, जिसे लोकमान्य  बाल गंगाधर तिलक के निर्देश मेँ तैयार किया गया था।
  • संविधान सभा का सुझाव सर्वप्रथम गांधीजी के द्वारा 1922 मेँ हरिजन नामक पत्र मेँ स्पष्ट कहा गया कि भारत का संविधान भारतीयों को स्वयं बनाने का अधिकार होना चाहिए।
  • भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा हुआ, जून 1934 मेँ सर्वप्रथम संविधान सभा के लिए औपचारिक रुप से एक निश्चित मांग पेश की गयी थी।
  • 1936 मेँ लखनऊ मेँ हुए अखिल भारतीय कांग्रेस अधिवेशन मेँ भारत के लिए प्रजातांत्रिक संविधान बनाने के लिए एक संविधान सभा की मांग प्रस्तुत की गयी।
  • अगस्त प्रस्ताव 1940 मेँ पहली बार संविधान सभा की मांग को ब्रिटिश सरकार ने आधिकारिक रुप से स्वीकार कर लिया।
  • क्रिप्स प्रस्ताव 1942 मेँ स्पष्ट रुप से संविधान सभा की रुपरेखा की बात कही गयी है।
  • 1946 में ब्रिटिश मंत्रिमंडलीय शिष्टमंडल ने अपनी योजना के अंतर्गत वर्तमान संविधान सभा की संरचना बनाई थी।
कैबिनेट मिशन योजना
  • ब्रिटिश संसदीय प्रतिनिधिमंडल की रिपोर्ट का अध्यन करने के पश्चात 1946 मेँ एक त्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भारत आया, जिसे कैबिनेट मिशन के नाम से जानते हैं।
  • कैबिनेट मिशन के अध्यक्ष पैथिक लॉरेंस (भारत सचिव) व ब्रिटेन - व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष स्टेफर्ड क्रिप्स तथा नौसेना अध्यक्ष ए.बी. एलेक्जेंडर सदस्य थे।
  • कैबिनेट मिशन का मूल उद्देश्य कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता कराने के लिए मध्यस्थता करवाना तथा वायसराय को भारत की संविधान सभा के गठन मेँ सहायता करना था।
  • भारत मेँ संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना के प्रावधानोँ के अनुसार अप्रत्यक्ष रुप से राज्योँ की विधानसभाओं द्वारा 1946 मेँ किया गया था। निर्वाचन केवल तीन संप्रदायोँ, मुस्लिम सिख व अन्य हिंदू मेँ विभक्त किया गया था।
  • चीफ कमिश्नरी प्रांतो को भी संविधान सभा मेँ प्रतिनिधित्व दिया गया था।
  • कैबिनेट मिशन के अनुसार संविधान सभा के सदस्योँ की संख्या 389 थी, जिनमें 229 प्रांतो मेँ से तथा 93 देशी रियासतो मेँ से चुने जाते थे, 4 कमिश्नरी क्षेत्रोँ मेँ से थे। प्रत्येक प्रांत और देसी रियासतों को अपनी जनसंख्या के अनुपात मेँ स्थान आवंटित किए गए थे।
  • संविधान सभा मेँ जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधि निर्धारित किए गए(१० लाख पर 1)।
  • संविधान सभा मेँ महिलाओं की संख्या 9 तथा अनुसूचित जनजाति के सदस्योँ की संख्या 33 थी।
संविधान निर्माण प्रक्रिया के विभिन्न चरण एवं तथ्य
  • संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई, सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया तथा मुस्लिम लीग ने इसका का बहिष्कार किया था।
  • 11 दिसंबर, 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष चुना गया।
  • श्री बी. एन. राव को संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार पद पर नियुक्त किया गया।
  • 13 दिसंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरु ने संविधान सभा मेँ उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत कर संविधान निर्माण का कार्य प्रारंभ किया, यह प्रस्ताव संविधान सभा ने 22 जून 1947 को पारित कर दिया।
  • संविधान निर्माण के लिए विभिन्न समितियां, जैसे प्रक्रिया समिति, वार्ता समिति, संचालन समिति कार्य समिति, संविधान समिति, झंडा समिति आदि का निर्माण किया गया।
  • विभिन्न समितियोँ मेँ प्रमुख प्रारुप समिति थी, जो कि 19 अगस्त, 1947 को गठित की गयी थी, इसका अध्यक्ष डाक्टर बी. आर. अंबेडकर को बनाया गया।
  • संविधान सभा की बैठक तृतीय वाचन (अंतिम वाचन) के लिए 14 नवंबर, 1949 को हुई, यह बैठक 26 नवंबर 1949 को समाप्त हुई।
  • भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा 2 वर्ष 11 महीने तथा 18 दिन मेँ किया गया था।
  • संपूर्ण संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था। 26 जनवरी, 1950 को भारत को गणतंत्र घोषित किया गया। संविधान सभा को ही आगामी संसद के चुनाव तक भारतीय संसद के रुप मेँ मान्यता प्रदान की गयी।
  • संविधान निर्माण के पीछे मुख्य रुप से जवाहरलाल नेहरु, सरदार बल्लभ भाई पटेल, राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम, आजाद आचार्य कृपलानी, टी टी कृष्णामचारी एवं डॉ. बी. आर. अंबेडकर का मस्तिष्क था। कुछ प्रमुख व्यक्तियों ने डॉ. बी. आर. अंबेडकर को संविधान का पिता कहा है।
  • भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है।
संविधान सभा की विभिन्न समितियां
  • समितियां संविधान बनाने के लिए संविधान सभा ने सबसे पहले 13 समितियो का गठन किया इन समितियोँ ने अगस्त 1947 तक अपनी-अपनी रिपोर्ट भेजी और उसके पश्चात उन रिपोर्ट्स पर संविधान सभा ने विचार किया।
  • एन. माधव राव, बी. एल. मित्र के स्थान पर बाद मेँ नियुक्त हुए।
  • प्रारुप समिति के सदस्य श्री एन. गोपालस्वामी आयंगर, अलादी कृष्णास्वामी अय्यर, मोहम्मद सादुल्ला, के. एम. मुंशी, बी. एल. मिल और डी. पी. खेतान थे।
  • डॉ. बी. आर. अंबेडकर संविधान सभा सभा के सदस्य समिति के लिए बंगाल से निर्वाचित हुए थे।
  • संविधान सभा की सदस्यता अस्वीकार करने वालोँ मेँ महात्मा गांधी, जय प्रकाश नारायण तथा तेज बहादुर सप्रू प्रमुख हैं।
संविधान निर्माण के लिए विभिन्न समितियां
समितियांसदस्य संख्याअध्यक्ष
प्रारूप समिति7डॉ. बी. आर. अंबेडकर
कार्य संचालन समिति3के. एम. मुंशी
संघ शक्ति समिति9पं. जवाहर लाल नेहरु
मूल अधिकार एवं अल्पसंख्यक समिति54सरदार बल्लभ भाई पटेल
संघ संविधान समिति7पं. जवाहर लाल नेहरु
प्रक्रिया समिति7डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
वार्ता समिति7डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
झंडा समिति7जे. बी. कृपलानी
प्रांतीय संविधान समिति7सरदार बल्लभ भाई पटेल
अल्पसंख्यक उप समिति7एच. सी. मुखर्जी
संविधान बनाने के लिए संविधान सभा ने सबसे पहले 13 समितियो का गठन किया। इन समितियोँ ने अगस्त 1947 तक अपनी अपनी रिपोर्ट भेजी और उसके पश्चात उन रिपोर्ट पर संविधान सभा ने विचार किया, तत्पश्चात डॉ. बी. एन. राव ने संविधान सभा द्वारा किए गए निर्णय के आधार पर संविधान का पहला प्रारुप तैयार किया। इसे तैयार करने मेँ सर बी. एन. राव ने लगभग तीन महीने लगाए। संविधान के प्रथम प्रारुप मेँ 243 अनुच्छेद तथा 13 अनुसूचियां थीं।
संविधान की प्रकृति और स्वरुप
  • भारत के मूल संविधान मेँ 395 अनुच्छेद तथा 22 भाग एवं 4 परिशिष्ट व 8 अनुसूचियां थीं, जबकि वर्तमान समय मेँ अनुच्छेदो की कुल संख्या 395 तथा कुल 25 भाग एवं 5 परिशिष्ट तथा 12 अनुसूचियां हैं।
  • हमारा संविधान एकात्मक और संघात्मक दोनो है यानि दोनो का मिश्रण है। भारत का संविधान संघीय कम एवं एकात्मक अधिक है – डी. डी. बसु।
  • भारत का संविधान अर्ध संघीय है – के. सी. व्हीलर।
  • भारत का पुदुचेरी जी ऐसा राज्य है, जहां फ्रेंच सबसे अधिक बोली जाती है।
भारतीय संविधान के स्रोत
विदेशी स्रोत
  • संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार, राज्य की कार्यपालिका के प्रमुख तथा सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर के रुप मेँ होने का प्रावधान, नयायिक पुनरावलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, नयायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग, उपराष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के नयायाधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात।
  • ब्रिटेन से संसदात्मक शासन-प्रणाली, एकल नागरिकता एवं विधि निर्माण प्रक्रिया, मंत्रियोँ के उत्तरदायित्व वाली संसदीय प्रणाली।
  • आयरलैंड से नीति निदेशक सिद्धांत, राष्ट्रपति के निर्वाचक-मंडल की व्यवस्था, राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा मेँ साहित्य, कला, विज्ञान तथा समाज सेवा इत्यादि के क्षेत्र मेँ ख्याति प्राप्त व्यक्तियों का मनोनयन, आपातकालीन उपबंध।
  • आस्ट्रेलिया से प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची का प्रावधान, केंद्र और राज्य के बीच संबंध तथा शक्तियों का विभाजन, संसदीय विशेषाधिकार।
  • जर्मनी से आपातकाल के प्रवर्तन के दौरान राष्ट्रपति को मौलिक अधिकार संबंधी शक्तियां।
  • कनाडा से संघात्मक विशेषताएं, अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास।
  • दक्षिण अफ्रीका से संविधान संशोधन की प्रक्रिया का प्रावधान।
  • रुस से मौलिक कर्तव्योँ का प्रावधान।
  • जापान से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया।
  • स्विट्ज़रलैंड से संविधान की सभी सामाजिक नीतियों के संदर्भ मेँ निदेशक तत्वों का उपबंध।
  • फ़्रांस से गणतांत्रिक व्यवस्था, अध्यादेश, नियम, विनियम, आदेश, संविधान विशेषज्ञ के विचार, न्यायिक निर्णय, संविधियां। इटली से मूल कर्तव्योँ की भाषाएं भावना।
भारतीय स्रोत
  • भारतीय संविधान के स्रोत मेँ हम भारत के लोग तथा भारत शासन अधिनियम 1935 है। 395 अनुच्छेदों मेँ से लगभग 250 अनुछेद इसी से लिए गए हैं या उनमेँ थोडा परिवर्तन किया गया है।
  • 1935 अधिनियम के प्रमुख प्रावधान संघ तथा राज्योँ के बीच शक्तियोँ का विभाजन, राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां अल्पसंख्यक वर्गो के हितों की रक्षा, उच्चतम न्यायालय का निम्न स्तर के नयायालय पर नियंत्रण, केंद्रीय शासन का राज्य के शासन मेँ हस्तक्षेप, व्यवस्थापिका के दो सदन।
देसी रियासतें
  • रियासतों को भारत मेँ सम्मिलित करने के लिए सरदार बल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व मेँ रियासती मंत्रालय बनाया गया।
  • जूनागढ़ रियासत को जनमत संग्रह के आधार पर, हैदराबाद की रियासत को पुलिस कार्यवाही के माध्यम से और जम्मू कश्मीर रियासत को विलय-पत्र पर हस्ताक्षर के द्वारा भारत मेँ मिलाया गया।
  • भारत और पाकिस्तान के दो राष्ट्रोँ मेँ विभाजन हो जाने के कारण सिंध, ब्लूचिस्तान, उत्तर- पश्चिमी सीमा, बंगाल, पंजाब तथा असम के सिलहट जिलों के प्रतिनिधि, संविधान सभा के सदस्य नहीँ रह गए।
  • सर्वाधिक बोली सदस्योँ वाली देसी रियासत मैसूर थी, जिसमेँ सदस्योँ की कुल संख्या 7 थी।
भारतीय संविधान के एकात्मक एवं संघात्मक लक्षण
  • विश्व का सबसे लंबा एवं लिखित संविधान तथा साधारण समय मेँ इस का प्रारुप संघीय है परन्तु आपातकाल में यह एकात्मक हो जाता है।
  • यह सभी नागरिकोँ को एक समान नागरिकता प्रदान करता है तथा पंथ निरपेक्षता की घोषणा करता है।
  • संविधान संप्रभु है तथा न्यायिक सर्वोच्चता मेँ समन्वय है।
  • विशालता एवं लिपि बाध्यता एवं संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य।
  • समाजवादी एवं पंथ निरपेक्ष राज्य एवं एकल नागरिकता का प्रावधान है।
  • मूल कर्तव्योँ की लिपिबद्धता एवं व्यस्क एवं सार्वजनिक मताधिकार।
  • लिखित संविधान।
  • संविधान की सर्वोच्चता।
  • स्वतंत्र न्यायपालिका।
  • मौलिक अधिकार, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, नीति निदेशक तत्व एवं संघीय शासन प्रणाली।
  • संसदीय एवं अध्यक्षात्मक पद्धतियो का समनवय एवं अल्पसंख्यक एवं पिछड़ी जाति के हितो की रक्षा।
  • संविधान की सर्वोच्चता एवं लोकप्रिय प्रभुसत्ता पर आधारित संविधान।
डॉ बी. आर. अंबेडकर: प्रारुप समिति के अध्यक्ष
डॉ बी. एन. राव द्वारा तैयार किए गए संविधान के प्रारुप पर विचार करने के लिए संविधान सभा ने डॉ. बी. आर. अंबेडकर की अध्यक्षता मेँ एक प्रारुप समिति का गठन किया जिसके सदस्य इस प्रकार थे –
प्रारुप समिति के सदस्य
-श्री गोपाल स्वामी आयंगर
-अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर
-मोहम्मद सादुल्लाह
-के. एम. मुंशी
-बी. एल. मित्र
-डी. पी. खेतान
कुछ समय बाद बी. एल. मित्र का स्थान एन. माधवराव द्वारा लिया गया और 1948 मेँ डी. पी. खेतान की मृत्यु हो जाने पर उनका स्थान टी. टी. कृष्णमाचारी द्वारा लिया गया।
प्रारुप समिति से पहले बनने पर उसमें 243 अनुच्छेद तथा 13 अनुसूचियां थीं। दूसरे प्रारुप मेँ परिवर्तन करके 315 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं, तीसरे प्रारुप मेँ 395 अनुच्छेद एवं अनुसूचियां थी, जिसे तेयार करने मेँ वर्ष, 11 महीने, 18 दिन का समय लगा, 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अपनी मंजूरी दे दी।
संविधान सभा की प्रमुख महिलाएं
कादंबरी गांगुली - भारत की पहली महिला ग्रेजुएट, कोलकाता विश्वविद्यालय या कांग्रेस अधिवेशन को संबोधित करने वाली पहली महिला।
संविधान सभा की सक्रिय महिला सदस्य
-हंसा मेहता: संविधान सभा की सक्रिय महिला
-दुर्गाबाई देशमुख: संविधान सभा की सक्रिय महिला
-सरोजिनी नायडू: संविधान सभा की सक्रिय महिला थीं
संविधान की अनुसूचियां
  • अनुसूची किसी लेख से जुड़े हुए एक पूरक विवरण का कथन होता है। किसी अनुसूची मेँ संविधान के किसी निश्चित अनुच्छेद का कथन होता है। किसी अनुसूची में संविधान के किसी निश्चित अनुच्छेद की व्याख्या निहित होती है। अनुसूचियां, संविधान का एक भाग हैं और वे संसद के संशोधन की शक्ति की शक्ति अधीन आती हैं।
  • संवैधानिक उपबंध के अनुसार कुछ अनुसूचियोँ के संशोधन के लिए अनुच्छेद 368 का प्रयोग जरुरी होता है और कुछ अन्य अनुसूचियां संसद द्वारा साधारण प्रक्रिया द्वारा संशोधित की जा सकती है।
पहली अनुसूची
  • यह अनुच्छेद 1 और अनुच्छेद 4 की व्याख्या है। जिसमेँ २8 राज्यों और 7 संघ राज्य क्षेत्रोँ का विवरण है।
दूसरी अनुसूची
  • इसमेँ उच्च संवैधानिक पदों जैसे राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति एवं उपसभापति, राज्य विधानसभाओं के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष, राज्य विधान परिषदों के सभापति एवं उपसभापति, उच्चंन्यायालयों एवं उच्चतम न्यायालय के नयायाधीशों, नियंत्रक महालेखा परीक्षक आदि के वेतन व भत्ते का विवरण है।
तीसरी अनुसूची
  • इसमेँ उच्च संवैधानिक पदोँ के लिए पद एवं गोपनीयता के शपथ का प्रारुप विद्यमान है। विभिन्न पदो के लिए शपथ के लिए भिन्न प्रारुप के कारण –
संविधान, विभिन्न संवैधानिक पदों को भिन्न-भिन्न कृत्योँ का दायित्व सौंपता है, अतः उन्हें  भिन्न प्रारुपोँ मेँ शपथ लेने होती है। उदाहरण के लिए राष्ट्रपति को संविधान के परिरक्षण (Preserve), संरक्षण (Conserve) और प्रतिरक्षण (Defend) का उत्तरदायित्व है, जबकि संघ के मंत्रियोँ को संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा तथा भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखने की शपथ लेनी होती है।
कुछ संवैधानिक अधिकारियों जैसे – राष्ट्रपति, राज्यपाल, तथा संघ एवं राज्य के मंत्रियोँ के पास राज्य के बारे मेँ गोपनीय जानकारियां होती हैं और उन्हें पद की शपथ के साथ-साथ गोपनीयता की भी शपथ लेनी होती है।
संविधान एक वरीयता क्रम सृजित करता है। इस तरह यह राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए शपथ का प्रारुप मुख्य संविधान मेँ शामिल करता है, जबकि अन्य पदों के लिए यह अनुसूची मेँ दिया हुआ है।
चौथी अनुसूची
  • राज्य सभा मेँ विभिन्न राज्योँ के लिए सीटोँ का आवंटन।
पांचवी अनुसूची
  • अनुसूचित क्षेत्रोँ और अनुसूचित जातियों के प्रशासन तथा नियंत्रण से संबंधित उपबंध।
छठीं अनुसूची
  • असम, मेघालय. मिजोरम और त्रिपुरा के प्रशासन से संबंधित उपबंध।
सातवीँ अनुसूची
  • इसमे संघ सूची (99 विषय), राज्य सूची (61 विषय) और समवर्ती सूची के (52 विषय) का उल्लेख किया गया है।
संघीय सूची के प्रमुख विषय
रक्षा, सशस्त्र व आयुधपरमाणु उर्जा
केन्द्रीय सूचना व अन्वेषण ब्यूरोविदेश सम्बन्ध व सयुंक्त राष्ट्र संघ
रेल, वायु मार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग व जलमार्गडाक टेलीफोन आदि संचार के साधन
मुद्राराष्ट्रीय महत्व की घोषित कोई संस्था
जनगणनाअखिल भारतीय सेवाएं
राज्य सूची के प्रमुख विषय
लोक व्यवस्था, सामान्य व रेल पुलिसलोक स्वास्थ्य, स्वच्छता, अस्पताल
उच्चतम न्यायालय से भिन्न न्यायालयस्थानीय शासन
बाज़ार व मेलेकृषि, कृषि शिक्षा और अनुसंधान
समवर्ती सूची के प्रमुख विषय
दंड विधि व दंड प्रक्रिया संहितासिविल प्रक्रिया संहिता
उच्चतम न्यायालय से भिन्न न्यायालय का अवमानपशुओं के प्रति क्रूरता
जनसंख्या नियंत्रण व परिवार नियोजनवन
आठवीं अनुसूची
इसमें भारत की 22 भाषाओँ का उल्लेख किया गया है।
आठवीं अनुसूची में उल्लिखित भाषाएं
असमियाबंग्लागुजराती
हिन्दीकन्नड़कश्मीरी
कोंकणीमलयालममणिपुरी
मराठीनेपालीउड़िया
पंजाबीसंस्कृतसिन्धी
तमिलतेलुगुउर्दू
बोडोमैथलीसंथाली
डोगरी
मूल संविधान मेँ कुल 14 भाषाएं थीं। 1967 मेँ सिन्धी, 1992 मेँ कोंकणी, मणिपुरी, नेपाली, 2004 मेँ मैथली, संथाली, डोंगरी व बोडो को संविधान की आठवीँ अनुसूची मेँ शामिल किया गया।
नवीं अनुसूची
इस अनुसूची के अंतर्गत आने वाले अनुच्छेदों एवं कानूनों न्यायिक समीक्षा के दायरे से अलग रखा गया है। इस अनुसूची मेँ मुख्यतः भू-सुधार एवं अधिग्रहण संबंधी कानून को रखा गया है।
दसवीँ अनुसूची
इसमेँ दल बदल से संबंधित प्रावधानोँ का उल्लेख है।
ग्यारहवीं अनुसूची
इस अनुसूची के आधार पर पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।
बारहवीं अनुसूची
इस अनुसूची के आधार पर शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं का उल्लेख कर संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।

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