गुलाम कि सीख
दास प्रथा के दिनों में एक मालिक के पास अनेक गुलाम [नौकर ] हुआ करती थी |उन्ही में से एक था अन्कुर्मान
अन्कुर्मान था तो सिर्फ एक गुलाम ,लेकिन वह बार हि चतुर और बुद्धिमान था | उसकी ख्याति दूर दराजो कि इलाके में फैलने लगी थी |
एक दिन कि बात है कि खबर उसके मालिक को लगी , और मालिक ने अन्कुर्मान को बुलाया , और कहा कि सुनते है कि तुम बहुत बुद्धिमान हो | मै तुम्हारी बुद्धिमानी कि परीक्षा लेना चाहता हु . अगर तुम इम्तिहान में पास हो गए तो युम्हे गुलामी से छुट्टी दे दी जाएँगी | अच्छा जाओ एक मरे हुए बकरे को काटो ,और उसका जो हिस्सा अच्छा है उससे ले आओ |
और अन्कुर्मान ने मालिक के आदेश कि पालन किया और ,और मरे हुए बकरे कि जिभ लाकर मालिक के सामने रख दी .
कर्ण पूछा गया कि सिर्फ जीभ हि क्यों लाया | अन्कुर्मान ने कहा कि शारीर में जीभ अछि नहीं तो सब कुछ बुरा हि बुरा है |
उसने आगे कहते हुए कहा - मालिक वाणी तो सभि के पास जन्मजात होति है , परन्तु बोलना किसी किसी को आता है ..... क्या बोले ? कैसे शब्द बोले , और कब बोले .... इस एक कला को बहुत कम हि लोग जानते है | एक बात से प्रेम झरता है , व्ही दूसरी बात से झगरा होता है |
कर्वी बाते इस संसार में न जाने कितनी झगरा पैदा किये , और इस जीभ ने भी इस दुनिया में बारे बारे कहर धाये है .
जीभ तिन इंच का ओ हथियार है जिस से 6 इउंच कि आदमी को भी मर सकता है .
कोई मरते हुए इनसान में भी प्राण फुक सकता है , संसार में सभि प्राणियो में वाणी वरदान सिर्फ मानव को हि मिला , उसके सदुपयो से स्वर्ग पृथ्वी पर उतर सकता है. दुरुपियोग से स्वर्ग भी नरक में परिणत हो सकता है , भारत के महाभारत युध्य वाणी के गलत प्रयोग का हि परिणाम था|
मालिक अन्कुर्मान कि बुद्धिमानी बातो पट बहुत खुस हुए और उन्हें आजाद कर दिया .
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