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Thursday, 3 November 2016

ye mat sochho ki

ये मत सोचो कि…

Motivational Poem in Hindi

प्रेरणादायक हिंदी कविता

Friends, मैं आम तौर पे poems नहीं पब्लिश करता…लेकिन मुझे ये कविता इनती inspiring लगी की मैंने सोचा ये आपके साथ ज़रूर share की जानी चाहिए। इस कविता को सिर्फ पढ़िए नहीं बल्कि इसमें कही गयी बातों को थोड़ा सोचिये।
“सोचना” आसान है पर सही चीज “सोचना” कठिन है। And, I am sure, इस पोएम को पढ़ कर आपको सही दिशा में सोचने में ज़रूर कुछ मदद मिलेगी।

Motivational Poem in Hindi प्रेरणादायक हिंदी कविता

ये मत सोचो कि…

ये मत सोचो कि तुम्हारे पास क्या नहीं है;
बल्कि, उसे सराहो जो तुम्हारे पास है और जो हो सकता है।
ये सोच कर दुखी मत हो कि तुम क्या नहीं हो;
बल्कि, ये सोच कर खुश हो कि तुम क्या हो और क्या बन सकते हो।
ये मत सोचो कि लोग तुम्हारे बारे में क्या कहते हैं;
बल्कि, ये सोचो कि तुम खुद अपने बारे में क्या सोचते हो और क्या सोच सकते हो।
ये मत सोचो कि कितना समय बीत गया;
बल्कि, ये सोचो कि कितना समय बाकी है और कितना मिल सकता है।
ये मत सोचो कि तुम फेल हो गए;
बल्कि, ये सोचो कि तुमने क्या सीखा और तुम क्या कर सकते हो।
ये मत सोचो कि तुमने क्या गलतियाँ कीं;
बल्कि, ये सोचो कि तुमने क्या सही किया और क्या सही कर सकते हो।   
ये मत सोचो कि आज कितनी तकलीफ उठानी पड़ रही है;
बल्कि ये सोचो कि कल कितना शानदार होगा और हो सकता है।
ये मत सोचो कि क्या हो सकता था;
बल्कि, ये सोचो कि क्या है और क्या हो सकता है।
ये मत सोचो कि कप कितना खाली है;
बल्कि, ये सोचो कि कप कितना भरा है और कितना भरा जा सकता है।
ये मत सोचो कि तुमने क्या खोया;
बल्कि, ये सोचो कि तुमने क्या पाया और क्या पा सकते हो।
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कुछ और कविताएँ:

दोस्तों, आपको ये कविता ( Motivational Poem in Hindi )कैसी लगी? कृपया कमेंट्स के माध्यम से अपनी thoughts share करें
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Monday, 10 October 2016

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक: महापर्व दशहरा | Hindi Essay on Dussehra


Hindi Essay on Dussehra Festival Or Vijayadasami

दशहरा / विजयदशमी पर्व पर निबंध

“दशहरा” शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है। दश का अर्थ ‘दशानन’ यानि दस मुखों वाले रावण से है और ‘हारा’ का सम्बन्ध रावण को राम से मिली पराजय से है। इस त्योहार का आयोजन अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को होता है। इसी शुभ दिन को प्रभु श्री राम ने दुर्दांत राक्षस रावण का संहार किया था। अतः इस पर्व को बुराई पर अच्छाई के रूप में मनाया जाता है।
Hindi Essay on Dussehra दशहरा पर निबंध
राम ने रावण को मारा…चलिए हम भी मारें अपने भीतर के रावण को…
“विजयदशमी” (Vijayadasami) शब्द भी संस्कृत शब्द ‘विजय’ और ‘दशमी’ से लिया गया है। यहाँ पर दशमी का मतलब हिन्दू महीनो के दसवें दिन से है। भगवान् श्री राम ने दशमी के दिन ही रावण का वध किया था और उसपर जीत हासिल की थी। इसीलिए दशहरा पर्व को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। दशहरा के ठीक 20 दिन बाद दीपावली मनाई जाती है, क्योंकि इसी दिन भगवान् राम, सीता मैया और अनुज लक्ष्मण के साथ लंका से वापस लौटे थे।
दशहरा और नवरात्री दोनों पर्व आपस में जुड़े हुए हैं। इसके पीछे की कहानी ये है कि-
माँ दुर्गा ने राक्षस महिषासुर को उसके पापों की सजा देने के लिए उससे प्रचंड युद्ध किया, जो नौ दिन और नौ रात्री चला। अन्तः अश्विन शुक्ल पक्ष के दसवें दिन माँ दुर्गे ने महिषासुर का वध कर दिया।
इसलिए दशहरा को नवरात्रि या दुर्गोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है और माँ के विभिन्न रूपों की अराधना की जाती है।
दशहरा को विजयादशमी, नवरात्रि के अलावा बीजोया, आयुध पूजा आदि नामो से भी जाना जाता है।
दशहरा पर्व के दौरान पूरे भारत में रामलीला का आयोजन होता है और इस पर्व की महत्ता समझने के लिए हमें भी राम लीला से जुडी बातें जानने चाहियें और यह भी समझना चाहिए कि आखिर रावण में ऐसा क्या था कि उसका वध करने के लिए भगवान् को श्री राम रूप में अवतार लेना पड़ा।

लंका नरेश रावण 

रावण कोई साधारण राक्षस नहीं था। दक्षिण दिशा मे सोने, हीरे, मोती, और कीमती रत्नो से सुसज्जित लंका नगरी मे निवास करने वाला रावण समस्त वेदो का ज्ञाता था। मायावी शक्ति और युद्ध कौशल मे पारंगत था। तथा बाहुबल मे वज्र के समान शक्तिशाली था। रावण के परिवार मे उसका भाई विभीषण नीतिज्ञान मे निपुंण, और कुंभकरण एक महाकाय प्रचंड योद्धा था। तथा रावण पुत्र मेघनाद (इंद्रजीत), अतिकाय, जैसे उच्च कोटी का असुर योद्धा था।
चंद्रहास मुखी खड़ग (तलवार) हाथ मे ले कर जब रावण युद्ध के लिए निकलता था, तब शत्रु डर के मारे काँप उठते थे। रावण और उसके पराक्रमी पुत्र, एक सेना के समान सशक्त थे। स्वयं रावण घोर तपस्वी, और बहुत से दैवी अस्त्रों, शस्त्रो तथा शास्त्रों का ज्ञाता था और साथ ही रावण परम शिवभक्त भी था।

दशरथ नन्दन और माता कौशल्या के दुलारे पुत्र राम

श्रीराम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष क़ी नवमी को अयोध्या में हुआ था। इस पावन दिन को हम रामनवमी के रूप में मनाते हैं।
करुणानिधान, क्षमामूर्ति, दयासागर, प्रभु श्री राम को अपने तीनों प्रिय भाई लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न पर विशेष प्रीति थी। भरत माता केकैयी और लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न माता सुमित्रा के गर्भ से जन्मे थे।
सारे भाई श्री राम को अपना आदर्श मानते थे। अपने पुत्र भरत को अयोध्या नरेश बनाने की लालसा मे माता केकैयी उनको दिए गए वचन के बदले मे राजा दशरथ से राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगती हैं। और फिर राजा दशरथ अपने दिल पर पत्थर रख कर वचन की मर्यादा के लिए राम को वनवास जाने की आज्ञा देते हैं। पिता की आज्ञा का पालन करते हुए रघुवीर वनवास के लिए प्रस्थान करते साथ, उनके साथ देवी सीता और भाई लक्ष्मण भी वन मे चल देते हैं। मृत्यु से पहले राजा दशरथ, केकैयी का त्याग करते है। और पुत्र वियोग मे  प्राण त्याग  देते हैं।
तीनों लोको के स्वामी श्री राम वन मे एक साधारण मानव की भांति, कठोर प्रकृति का सामना करते हुए वनवास भुगतते है। और धर्म, कर्तव्य, का पालन करते हुए आदर्श मानव आचरण का द्रष्टांत स्थापित करते हैं।

देवी सीता का रावण द्वारा हरण

महाबली रावण की बहन शूर्पणखा वन मे विचरण करते-करते श्री राम की कुटीर पर पहुँच जाती है। वह श्री राम को आंगन मे देख कर मोहित हो जाती है। और उनके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखती है। श्री राम शूर्पणखा के प्रस्ताव को विनम्रता पूर्वक अस्वीकार कर के भाई लक्ष्मण से पूछने को कहते हैं। लक्ष्मण खुद को श्री राम का दास बता कर शूर्पणखा के प्रस्ताव को मना कर देते हैं। क्रोध की मारी शूर्पणखा राम की अर्धांग्नी देवी सीता को मारने के लिए झपटती  है। तभी लक्ष्मण शूर्पणखा को पकड़ कर उसकी नाक काट देते हैं।
अपने इसी अपमान का बदला लेने शूर्पणखा रावण को देवी सीता को हर लेने को कहती है। रावण कपट से साधू का वेश धारण कर के देवी सीता का हरण ऐसे समय पर करता है, जब श्री राम और लक्ष्मण कुटीर पर नहीं होते हैं।

प्रभु श्री राम का लंका पर आक्रमण

संसार को पापी, दुष्ट, अधर्मी, राक्षस राज रावण के अत्याचार से मुक्त कराने, और अपनी भार्या सीता को लंका से मुक्त कराने के उद्देश्य से श्री राम अपने भ्राता लक्ष्मण, वानर राज सुग्रीव, जांबवान, पवन पुत्र हनुमान, और विराट वानर व रीछ सेना सहित लंका नगरी पर आक्रमण करते हैं।
रावण के पुत्र, भाई, मित्र, प्रगाढ़ योद्धा, इस महायुद्ध मे मृत्यु को प्राप्त होते हैं। अंत मे बचे रावण को प्रभु श्री राम देवी सीता को मुक्त कर के युद्ध समाप्त करने का परामर्श भी भिजवाते है। पर घमंडी राक्षस रावण काम, क्रोध, मोह, माया के वश में होने के कारण श्री राम का यह विकल्प ठुकरा देता है। और अंतिम भीषण युद्ध मे अहंकारी रावण मृत्यु को प्राप्त होती है।

सार –

महापर्व दशहरा अनीति, अत्याचार, और बुराई पर धर्म, सत्य, और अच्छाई की विजय का प्रतीक है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की इसी कथा का वर्णन भारत के कई जगहों पर दशहरे के दिन रामलीला रचा कर याद किया जाता है। और राम लीला के साथ कई जगहों पर मेले भी लगते हैं। कई नगरो शहरो मे दशहरे के त्योहार पर तरह तरह की रौशनी व्यवस्था कर के अद्भुत प्रदर्शन का आयोजन किया जाता है। दशहरा पर विभिन्न तरह की मिठाईया और पकवान का दौर भी चलता है। इस पर्व पर अलग-अलग क्षेत्र के लोग भिन्न-भिन्न तरीके से इस त्योहार का आयोजन कर के ईश्वर के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा का प्रदर्शन करते है।
प्राचीन समय मे राजा महाराजा दशहरा के दिन सशत्र पूजा भी करते थे। और कोई नया कार्य आरंभ करने के लिए नवरात्री का समय व दशहरा का दिन शुभ मानते थे। आज के युग मे भी कई लोग नया व्यवसाय, व्यापार शुरू करने के लिए दशहरा का दिन चुनते हैं।

दशहरा पर्व पर दुर्गा पूजा 

Hindi Essay on Dussehra दशहरा पर निबंध
पंडालों में सजी माँ दुर्गा की प्रतिमा
दशहरा के दौरान भारत के कई शहरों, विशेषकर कोलकाता में धूम-धाम से दुर्गा पूजन किया जाता है। इस दौरान शहर के प्रमुख स्थानों पर बड़े-बड़े  भव्य पांडाल लगाए जाते हैं। जिसे जगमगाती रौशनी व लाइटों से सजाया जाता है। पांडाल के अन्दर माँ दुर्गा व अन्य देवी देवताओं की बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं। सिंह पर सवार माँ दुर्गा का राक्षस वध करते हुए सजाई गयी मूर्तियाँ न सिर्फ बच्चों बल्कि बड़े लोगों को भी खूब आकर्षित करती हैं।
दुर्गा पूजा पर स्त्रियाँ मनमोहक गरबा इत्यादि धार्मिक नृत्य के साथ माँ दुर्गा की आरती कर  उपासना करती हैं। दुर्गा पूजा पर उत्साही लोगो के हुजूम के साथ, रंगीन रोशनी मै रंगा हुआ शहर एक अदभूत चित्र का सर्जन करता है। भारत के कई हिस्सों में दुर्गा पूजा का महोत्सव पूरे चार दिन तक चलता है। और उसके पश्चात दुर्गा माँ की स्थापित की हुई मूर्ति को नदी यां सरोवर में विसर्जन करने की प्रथा है।

दशहरा पर्व पर राम लीला, रावण दहन व मेले का आयोजन

दशरहा पर्व के दौरान राम लीला मैदानों में कई दिनों तक राम लीला का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर लोग अपने धर्म-जाति भूलकर आयोजनों में शामिल होते हैं। इन्ही मैदानों में बच्चों और बड़ों के मनोरंजन के लिए मेले लगाये जाते हैं, जिसमे तरह-तरह के झूले, खाने-पीने के स्टाल लगते हैं व आकर्षक सामान बेचे जाते हैं।
दशमी के दिन रावण का पुतला बना कर उसे दहन करने की प्रथा है। इस अवसर पर रावण, कुम्भकरण व मेघनाद के विशाल पुतले बनाए जाते हैं और उन्हें पटाखों से बाँध दिया जात है। राम लील में श्री राम का पात्र निभा रहा व्यक्ति अपने तीर में आग लगा कर रावण को मारता है और देखते-देखते ही रावण धू-धू कर जलने लगा है। यह दृश्य बुराई पर अच्छाई की विजय को दर्शाता है।

स्थान विशेष पर दशहरा पर्व 

गुजरात में नवरात्री के नौ दिन पहले से गरबा खेलने का कार्यक्रम होता है। जिसमे सभी उम्र के नर-नारी दांडिया रास, और गरबा खेलते हैं। और माँ दुर्गा की उपासना व हवन-पूजा का अनुष्ठान किया जाता है।दशहरा के दिन रावण का पुतला जला करा अनुष्ठान / उत्सव की पूर्णाहुति की जाती है। नवरात्र गरबा के दौरान बहुत सारे श्रद्धालु व्रत भी रखते हैं नवरात उत्सव मे सभी उम्र के नर-नारी अतरंगी, चमकदार, सजीले पौशाक पहन कर हर्षौल्लास के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।
दशहरा पर्व के दिन दिल्ली मे लंका कांड अध्याय पर रामलीला रचाई जाती है।
मैसूर का दशहरा मशहूर है। इसे देखने विदेशी सैलानी भी इकठ्ठा होते हैं। मैसूर महल को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और सुसज्जित हाथियों का भव्य जूलूस निकाला जाता है।
हिमाचाल प्रदेश में मनाया जाने वाला कुल्लू का दशहरा भी काफी प्रसिद्द है। यहाँ पर लोग नए-नए कपड़े पहन कर तैयार होते हैं और अपने ईष्ट देवी-देवताओं को पालकी में बैठाकर घूमाते हैं। इस दौरान ढोल-नगाड़े तथा अन्य वाद्य यंत्र बजाये जाते हैं।

दशहरा के सही मायने:

अक्सर, जब बुराई की बात होती है तो इंसान बाहर की ओर देखता है लेकिन असल में बुराई तो उसके अन्दर ही होती है।
कबीर दास जी ने कहा भी है,
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।
अर्थात,  जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला, लेकिन  जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है।
मित्रों, दशहरा पर्व मनाने का सही अर्थ तभी है जब हम इससे मिलने वाले सन्देश, ” बुराई पर अच्छाई की जीत” को अपने जीवन में लाएं। और अपने अन्दर की बुराई को ख़त्म करें। फिर चाहे वो बुराई, झूठ बोलने की आदत, अधिक क्रोध करना, फिजूलखर्चीमें पैसे उड़ाना या फिर कोई नशा करना ही क्यों न हो! हमें दशहरा पर्व के पावन अवसर पर प्रण लेना चाहिए कि हम अपने भीतर के राम से अपने भीतर के रावण का वध करेंगे और इस समाज में अच्छाई का दीप रौशन करेंगे।
दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं!
धन्यवाद
Gaurav kumar
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Thursday, 6 October 2016

तीन कहानियाँ- जो बदल सकती हैं आपकी ज़िन्दगी ! three story jo badal de aapki zindagi ya aapki kahnii

तीन कहानियाँ- जो बदल सकती हैं आपकी ज़िन्दगी !

Steve Jobs Speech in Hindi

पढ़िए iPod और iPhone बनाने वाली कंपनी Apple के founder Steve Jobs के जीवन की तीन कहानियां जो  बदल सकती हैं आपकी भी ज़िन्दगी. इस स्पीच में आपको उनकी पूरी life history या biography की झलक भी मिल जायेगी.
जब कभी दुनिया के सबसे प्रभावशाली entrepreneurs का नाम लिया जाता है तो उसमे कोई और नाम हो न हो,एक नाम ज़रूर आता है. और वो नाम है STEVE JOBS (स्टीव जॉब्स ) का. APPLE Company के co-founder इस अमेरिकी को दुनिया सिर्फ एक successful entrepreneur, inventor और businessman के रूप में ही नहीं जानती है बल्कि उन्हें world के अग्रणी motivators और speakers  में भी गिना जाता है.
Steve Jobs Speech in Hindi
और आज आपके साथ बेहतरीन Hindi articles share करने की अपनी commitment को पूरा करते हुए हम AchhiKhabar.Com(AKC) पर आपके साथ  Steve Jobs की perhaps the bestspeech “Stay Hungry Stay Foolish” Hindiमें share कर रहे हैं. यह speech उन्होंने Stanford University के convocation ceremony (दीक्षांत समारोह) में 12 June 2005 को दी थी.
 यह Post थोड़ी लंबी  है. लगभग 2250 शब्दों की, इसलिए यदि आप चाहें तो AchhiKhabar.Com को Bookmark याFavourites में list कर लें . ताकि यदि आप एक बार में पूरी post  न पढ़ पायें तो आसानी से फिर इस पेज पर आ सकें. वैसे Google में “Steve Jobs Speech in Hindi” search  करने पर भी आप दुबारा इस Page पर आ सकते हैं. और यदि चाहें तो इस स्पीच को मेरी आवाज़ (Gopal Mishra) में YouTube पर सुन भी सकते हैं.
 तो चलिए पढते हैं – One of the best speech ever by Steve Jobs, translated in Hindi:

       STEVE JOBS CONVOCATION SPEECH AT STANFORD
“Stay Hungry Stay Foolish”

Thank You ! आज world की सबसे बहेतरीन Universities में से एक के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ. मैं आपको एक सच बता दूं; मैं कभी किसी college से pass नहीं हुआ; और आज पहली बार मैं किसी college graduation ceremony के इतना करीब पहुंचा हूँ. आज मैं आपको अपने जीवन की तीन कहानियां सुनाना चाहूँगा… ज्यादा कुछ नहीं बस तीन कहानियां.
मेरी पहली कहानी dots connect करने के बारे में है. Reed College में दाखिला लेने के 6 महीने के अंदर ही मैंने पढाई छोड़ दी, पर मैं उसके 18 महीने बाद तक वहाँ किसी तरह आता-जाता रहा. तो सवाल उठता है कि मैंने college क्यों छोड़ा ? Actually, इसकी शुरुआत मेरे जन्म से पहले की है.
 मेरी biological mother*  एक young, अविवाहित  graduate student थी, और वह मुझे किसी और को adoption के लिए देना चाहती थी. पर उनकी एक ख्वाईश थी कि कोई college graduate ही मुझे adopt करे. सबकुछ बिलकुल set था और मैं एक वकील और उसकी wife के द्वारा adopt किया जाने वाला था कि अचानक उस couple ने अपना विचार बदल दिया और decide किया कि उन्हें एक लड़की चाहिए. इसलिए तब आधी-रात को मेरे parents, जो तब waiting list में थे, को call  करके बोला गया कि, “हमारे पास एक baby-boy है, क्या आप उसे गोद लेना चाहेंगे?” और उन्होंने झट से हाँ कर दी.
बाद में मेरी biological mother  को पता चला कि मेरी माँ college pass नहीं हैं और पिता तो High School पास भी नहीं हैं. इसलिए उन्होंने Adoption Papers sign करने से मना कर दिया; पर कुछ महीनो बाद मेरे होने वाले parents के मुझे college भेजने के आश्वासन के बाद वो मान गयीं. तो मेरी जिंदगी कि शुरुआत कुछ इस तरह हुई और सत्रह साल बाद मैं college गया….पर गलती से मैंने Stanford जितना ही महंगा college चुन लिया. मेरे working-class parents की सारी जमा-पूँजी मेरी पढाई में जाने लगी.
6 महीने बाद मुझे इस पढाई में कोई value नहीं दिखी. मुझे कुछ idea नहीं था कि मैं अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता हूँ, और college मुझे किस तरह से इसमें help करेगा..और ऊपर से मैं अपनी parents की जीवन भर कि कमाई खर्च करता जा रहा था. इसलिए मैंने कॉलेज drop-out करने का निर्णय लिए…और सोचा जो होगा अच्छा होगा. उस समय तो यह सब-कुछ मेरे लिए काफी डरावना था पर जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे लगता है ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा decision था.
जैसे ही मैंने college छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी classes करने की बाध्यता खत्म हो गयी . और मैं चुप-चाप सिर्फ अपने interest की classes करने लगा. ये सब कुछ इतना आसान नहीं था. मेरे पास रहने के लिए कोई room नहीं था, इसलिए मुझे दोस्तों के room में फर्श पे सोना पड़ता था. मैं coke की bottle को लौटाने से मिलने वाले पैसों से खाना खता था….मैं हर Sunday  7 मील पैदल चल कर Hare Krishna Temple  जाता था, ताकि कम से कम हफ्ते में एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं. यह मुझे काफी अच्छा लगता था.
मैंने अपनी life में जो भी अपनी curiosity और intuition की वजह से किया वह बाद में मेरे लिए priceless साबित हुआ. Let me give an example. उस समय Reed College शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी जहाँ Calligraphy* सिखाई जाती थी. पूरे campus में हर एक poster, हर एक label बड़ी खूबसूरती से हांथों से calligraph  किया होता था.
चूँकि मैं college से drop-out कर चुका था इसलिए मुझे normal classes करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. मैंने तय किया की मैं calligraphy की classes करूँगा और इसे अच्छी तरह से सीखूंगा. मैंने serif और sans-serif type-faces के बारे में सीखा; अलग-अलग letter-combination के बीच में space vary करना और किसी अच्छी  typography को क्या चीज अच्छा बनाती है, यह भी सीखा. यह खूबसूरत था, इतना artistic था कि इसे science द्वारा capture  नहीं किया जा सकता था, और ये मुझे बेहद अच्छा लगता था.
उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का use कभी अपनी life में करूँगा. लेकिन जब दस साल बाद हम पहला Macintosh Computer बना रहे थे तब मैंने इसे Mac में design कर दिया. और Mac  खूबसूरत typography युक्त दुनिया का पहला computer बन गया. अगर मैंने college से drop-out नहीं किया होता तो Mac मैं कभी multiple-typefaces या proportionally spaced fonts नहीं होते, और चूँकि Windows ने Mac की copy की थी तो शायद किसी भी personal computer में ये चीजें नहीं होतीं. अगर मैंने कभी drop-out ही नहीं किया होता तो मैं कभी calligraphy की वो classes नहीं कर पाता और फिर शायद personal computers में जो fonts होते हैं, वो होते ही नहीं.
Of course, जब मैं college में था तब भविष्य में देख कर इन dots को connect करना  impossible था; लेकिन दस साल बाद जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो सब कुछ बिलकुल साफ़ नज़र आता है. आप कभी भी future में झांक कर dots connect नहीं कर सकते हैं. आप सिर्फ past देखकर ही dots connect कर सकते हैं; इसलिए आपको यकीन करना होगा की अभी जो हो रहा है वह आगे चल कर किसी न किसी तरह आपके future से connect हो जायेगा. आपको किसी न किसी चीज में विश्ववास करना ही होगा —अपने guts में, अपनी destiny में, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में…किसी न किसी चीज मैं विश्वास करना ही होगा…क्योंकि इस बात में believe करना की आगे चल कर dots connect होंगे आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत देगा…तब भी जब आप बिलकुल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे…and that will make the difference.
मेरी दूसरी कहानी, love और loss  के बारे में है. मैं जिस चीज को चाहता था वह मुझे जल्दी ही मिल गयी. Woz और मैंने अपने parents के गराज से Apple शरू की तब मैं 20 साल का था. हमने बहुत मेहनत की और 10 साल में Apple दो लोगों से बढ़ कर $2 Billion  और 4000 लोगों की company हो गयी. हमने अभी एक साल पहले ही अपनी finest creation Macintosh release की, मैं तीस का हो गया था और मुझे company से fire कर दिया गया.
Young Steve Jobs
आप अपनी बनायीं हुई company से fire कैसे हो सकते हैं? Well, जैसे-जैसे company grow की, हमने एक ऐसे talented आदमी को hire किया, जिसे मैंने सोचा कि वो मेरे साथ मिलकर company run करेगा, पहले एक साल सब-कुछ ठीक-ठाक चला…. लेकिन फिर company के future vision को लेकर हम दोनों में मतभेद होने लगे. बात Board Of Directors तक पहुँच गयी, और उन लोगों ने उसका साथ दिया, so at thirty, मुझे निकाल दिया गया…publicly निकाल दिया गया. जो मेरी पूरी adult life का focus था वह अब खत्म हो चुका था, और ये बिलकुल ही तबाह करने वाला था. मुझे सचमुच अगले कुछ महीनो तक समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं.
मुझे महसूस हुआ कि ये सबकुछ इतनी आसानी से accept करके मैंने अपने पहले कि generation के entrepreneurs को नीचा दिखाया है. मैं David Packard* और Bob Noyce* से मिला और उनसे सबकुछ ऐसे हो जाने पर माफ़ी मांगी. मैं एक बहुत बड़ा public failure था, एक बार तो मैंने valley* छोड़ कर जाने की भी सोची. पर धीरे-धीरे मुझे अहसास हुआ कि मैं जो काम करता हूं, उसके लिए मैं अभी भी passionate हूँ. Apple में जो कुछ हुआ उसकी वजह से मेरे passion में ज़रा भी कमी नहीं आई है….मुझे reject कर दिया गया है, पर मैं अभी भी अपने काम से प्यार करता हूँ. इसलिए मैंने एक बार फिर से शुरुआत करने की सोची. मैंने तब नहीं सोचा पर अब मुझे लगता है कि Apple से fire किये जाने से अच्छी चीज मेरे साथ हो ही नहीं सकती थी. Successful होने का बोझ अब beginner होने के हल्केपन में बदल चुका था, मैं एक बार फिर खुद को बहुत free महसूस कर रहा था…इस फ्रीडम की वज़ह से मैं अपनी life  की सबसे creative period में जा पाया.
अगले पांच सालों में मैंने एक company NeXT और एक दूसरी कंपनी Pixar start की और इसी दौरान मेरी मुलाक़ात एक बहुत ही amazing lady से हुई, जो आगे चलकर मेरी wife बनीं. Pixar ने दुनिया की पहली computer animated movie, “ Toy Story”  बनायीं, और इस वक्त यह दुनिया का सबसे सफल animation studio है. Apple ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए NeXT को खरीद लिया और मैं Apple में वापस चला गया. आज Apple, NeXT  द्वारा develop की गयी technology use करती है….अब Lorene और मेरा एक सुन्दर सा परिवार है. मैं बिलकुल surety के साथ कह सकता हूँ कि अगर मुझे Apple से नहीं निकाला गया होता तो मेरे साथ ये सब-कुछ नहीं होता. ये एक कड़वी दवा थी …पर शायद मरीज को इसकी ज़रूरत थी. कभी-कभी जिंदगी आपको इसी तरह ठोकर मारती है. अपना विश्वास मत खोइए. मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि मैं सिर्फ इसलिए आगे बढ़ता गया क्योंकि मैं अपने काम से प्यार करता था…I loved my work.
आप really क्या करना पसंद करते हैं यह आपको जानना होगा, जितना अपने love को find करना ज़रूरी है, उतना ही उस काम को ढूँढना ज़रूरी जिसे आप सच-मुच enjoy करते हों आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा, और truly-satisfied होने का एक ही तरीका है कि आप वो करें जिसे आप सच-मुच एक बड़ा काम समझते हों...और बड़ा काम करने का एक ही तरीका है कि आप वो करें जो करना आप enjoy करते हों. यदि आपको अभी तक वो काम नहीं मिला है तो आप रूकिये मत; उसे खोजते रहिये. जैसा कि दिल से जुडी हर चीज में होता है, वो जब आपको मिलेगा तब आपको पता चल जायेगा…और जैसा की किसी अच्छी relationship में होता है वो समय के साथ-साथ और अच्छा होता जायेगा ….इसलिए खोजते रहिये…रूकिये मत.
मेरी तीसरी कहानी death के बारे में है. जब मैं 17  साल का था तो मैंने एक quote पढ़ा, जो कुछ इस तरह था, “ यदि आप हर रोज ऐसे जियें जैसे कि ये आपकी जिंदगी का आखीरी दिन है, तो आप किसी न किसी दिन सही साबित हो जायेंगे.” इसने मेरे दिमाग पे एक impression बना दी, और तबसे…पिछले 33  सालों से, मैंने  हर सुबह उठ कर शीशे में देखा है और खुद से एक सवाल किया है, –
अगर ये  मेरी जिंदगी का आखिरी दिन होता तो क्या मैं आज वो करता जो मैं करने वाला हूँ?
और जब भी लगातार कई दिनों तक जवाब “नहीं” होता है, मैं समझ जाता हूँ कि कुछ बदलने की ज़रूरत है. इस बात को याद रखना कि मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी life के बड़े decisions लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार death  के बारे में सोचता हूँ तब सारी expectations, सारा pride, fail होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है. इस बात को याद करना कि एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है. आप पहले से ही नंगे हैं. ऐसा कोई reason नहीं है कि आप अपने दिल की ना सुनें.
करीब एक साल पहले पता चला कि मुझे cancer है . सुबह 7:30 बजे मेरा scan हुआ, जिसमे साफ़-साफ़ दिख रहा था कि मेरे pancreas में tumor है. मुझे तो पता भी नहीं था की pancreas क्या होता है. Doctor ने लगभग यकीन के साथ बताया कि मुझे एक ऐसा cancer है जिसका इलाज़ संभव नहीं है, और अब मैं बस 3 से 6 महीने का मेहमान हूँ. Doctor ने सलाह दी कि मैं घर जाऊं और अपनी सारी चीजें व्यवस्थित कर लूं, जिसका indirect मतलब होता है कि, “आप मरने की तैयारी कर लीजिए.” इसका मतलब कि आप कोशिश करिये कि आप अपने बच्चों से जो बातें अगले दस साल में करते, वो अगले कुछ ही महीनों में कर लीजिए. इसका ये मतलब होता है कि आप सब-कुछ सुव्यवस्थित कर लीजिए की आपके बाद आपकी family को कम से कम परेशानी हो. इसका ये मतलब होता है कि आप सबको गुड-बाय कर दीजिए.
मैंने इस diagnosis के साथ पूरा दिन बिता दिया फिर शाम को मेरी biopsy हुई जहाँ मेरे मेरे गले के रास्ते, पेट से होते हुए मेरी intestine में एक endoscope डाला गया और एक सुई से tumor से कुछ cells निकाले गए. मैं तो बेहोश था, पर मेरी wife, जो वहाँ मौजूद थी उसने बताया कि जब doctor ने microscope से मेरे cells देखे तो वह रो पड़ा…दरअसल cells देखकर doctor समझ गया कि मुझे एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का  pancreatic cancer है जो surgery से ठीक हो सकता है. मेरी surgery हुई और सौभाग्य से अब मैं ठीक हूँ.
मौत के इतना करीब मैं इससे पहले कभी नहीं पहुंचा, और उम्मीद करता हूँ कि अगले कुछ दशकों तक पहुँचूं भी नहीं. ये सब देखने के बाद मैं ओर भी विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि death एक useful but intellectual concept है. कोई मरना नहीं चाहता है, यहाँ तक कि जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं वो भी…फिर भी मौत वो मंजिल है जिसे हम सब share  करते हैं. आज तक इससे कोई बचा नहीं है. और ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार हैये जिंदगी को बदलती है, पुराने को हटा कर नए का रास्ता खोलती है. और इस समय नए आप हैं. पर ज्यादा नहीं; कुछ ही दिनों में आप भी पुराने हो जायेंगे और रस्ते से साफ़ हो जायेंगे.
इतना dramatic होने के लिए माफ़ी चाहता हूँ पर ये सच है. आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये. बेकार की सोच में मत फंसिए, अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए. औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को, अपने intuition को डूबने मत दीजिए. वे पहले से ही जानते हैं कि तुम सच में क्या बनना चाहते हो. बाकि सब गौण है.
जब मैं छोटा था तब एक अद्भुत publication, “The Whole Earth Catalogue” हुआ करता था, जो मेरी generations की bibles में से एक था. इसे Stuart Brand नाम के एक व्यक्ति, जो यहाँ  MelonPark से ज्यादा दूर नहीं रहता था, ने इसे अपना poetic touch दे के बड़ा ही जीवंत बना दिया था. ये साठ के दशक की बात है, जब computer और desktop publishing नहीं हुआ करती थीं. पूरा catalogue ..typewriters, scissors और  Polaroid cameras की मदद से बनाया जाता था. वो कुछ-कुछ ऐसा था मानो Google को एक book के form में कर दिया गया हो….वो भी गूगल के आने के 35 साल पहले. वह एक आदर्श था, अच्छे tools और महान विचारों से भरा हुआ था.
Stuart और उनकी team ने “The Whole Earth Catalogue”के कई issues निकाले और अंत में एक final issue निकाला. ये सत्तर के दशक का मध्य था और तब मैं आपके जितना था. Final issue के back cover पे प्रातः काल का किसी गाँव की सड़क का द्दृश्य था…वो कुछ ऐसी सड़क थी जिसपे यदि आप adventurous हों तो किसी से lift माँगना चाहेंगे. और उस picture के नीचे लिखा था, Stay Hungry, Stay Foolish”. ये उनका farewell message था जब उन्होंने sign-off  किया, Stay Hungry, Stay Foolish” और मैंने अपने लिए हमेशा यही wish किया है, और अब जब आप लोग यहाँ से graduate हो रहे हैं तो मैं आपके लिए भी यही wish करता हूँ, stay hungry, stay foolish. Thank you all very much.
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Monday, 3 October 2016

ADHURAPAN JARURI HAI JINE KE LIYEE KAFI JARURI HAI..................................... BY SHIKHA MISHRA

अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए…

दोस्तों आज  मैं आपको यह बताते हुए काफ़ी अच्छा feel कर रहा हूँ कि Radantgaurav.Com के माध्यम से मैंने जो request की थी उसे NCR के एक Post Graduate College में पढाने वाली एक सम्माननीय Lecturer ने सुन लिया है। आज हम उन्ही के द्वारा लिखा एक बहुत ही interesting write-up आपके साथ share कर रहे हैं:
Title : अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए…
Authored By: Mrs. Shikha Mishra
Profession:  Lecturer ( Psychology)

  अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए …

अधूरापन शब्द सुनते ही मन में एक negative thought  आ जाती है। क्योंकि यह शब्द अपने आप में जीवन की किसी कमी को दर्शाता है। पर सोचिये कि अगर ये थोड़ी सी कमी जीवन में ना हो तो जीवन खत्म सा नहीं हो जायेगा?
अगर आप ध्यान दीजिए तो आदमी को काम करने के लिए प्रेरित ही यह कमी करती है। कोई भी कदम, हम इस खालीपन को भरने की दिशा में ही उठाते हैं। Psychologists का कहना है कि मनुष्य के अंदर कुछ जन्मजात शक्तियां होती हैं जो उसे किसी भी नकारात्मक भाव से दूर जाने और available options  में से  best option चुनने के लिए प्रेरित करती हैं। कोई भी चीज़ जो life में असंतुलन लाती है, आदमी उसे संतुलन  की दिशा में ले जाने की कोशिश करता है।
अगर कमी ना हो तो ज़रूरत नहीं होगी, ज़रूरत नहीं होगी तो आकर्षण नहीं होगा, और अगर आकर्षण नहीं होगा तो लक्ष्य भी नहीं होगा। अगर भूख ना लगे तो खाने की तरफ जाने का सवाल ही नहीं पैदा होता। इसलिए अपने जीवन की किसी भी कमी को negative ढंग से देखना सही नहीं है। असल बात तो ये है कि ये कमी या अधूरापन हमारे लिए एक प्रेरक का काम करता है।
कमियां सबके जीवन में होती हैं बस उसके रूप और स्तर अलग-अलग होते हैं। और इस दुनिया का हर काम उसी कमी को पूरा करने के लिए किया जाता रहा है और किया जाता रहेगा। चाहे जैसा भी व्यवहार हो, रोज का काम  हो, office जाना हो, प्रेम सम्बन्ध हो या किसी से नए रिश्ते बनान हो सारे काम जीवन के उस खालीपन को भरने कि दिशा में किये जाते है। हाँ, ये ज़रूर हो सकता है कि कुछ लोग उस कमी के पूरा हो जाने के बाद भी उसकी बेहतरी के लिए काम करते रहते हैं।
आप किसी भी घटना को ले लीजिए आज़ादी की लड़ाई, कोई क्रांति, छोटे अपराध, बड़े अपराध या कोई परोपकार, हर काम किसी न किसी अधूरेपन को दूर करने के लिए हैं। कई शोधों से तो ये तक proof  हो चुका है कि व्यक्ति किस तरह के कपड़े पहनता है, किस तरह कि किताब पढता है, किस तरह का कार्यक्रम देखना पसंद करता है और कैसी संस्था से जुड़ा है ये सब अपने जीवन की उस कमी को दूर करने से सम्बंधित है।
महान  psychologist Maslow (मैस्लो)  ने कहा है कि व्यक्ति का जीवन पांच प्रकार कि ज़रूरतों  के आस – पास घूमता है।
Maslow’s hierarchy of needs in Hindi:
Maslow's Hierarchy Of Needपहली मौलिक ज़रूरतें; भूख, प्यास और सेक्स की।
दूसरी सुरक्षा की
तीसरी संबंधों या प्रेम की,
चौथी आत्मा-सम्मान की
और पांचवी आत्मसिद्धि (self-actualization) की  जिसमे व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा प्रयोग करता है।
ज़रूरी नहीं की  हम अपने जीवन में Maslow’s Hierarchy of needs में बताई गयी सारी stages  तक पहुँच पाएं और हर कमी को दूर कर पाएं, पर प्रयास ज़रूर करते हैं।
कई घटनाएँ ऐसी सुनने में आती हैं जहाँ लोगों ने अपने जीवन की  कमियों को अपनी ताकत में बदला हैं और जिसके कारण पूरी दुनियां उन्हें जानती है  जिसमे Albert Einstein और  Abraham Lincoln  का नाम सबसे ऊपर आता है।
Albert Einstein जन्म से ही learning disability का शिकार थे, वह चार साल तक बोल नहीं पाते थे और नौ साल तक उन्हें पढ़ना नहीं आता था। College Entrance के पहले attempt में वो fail भी हो गए थे। पर फिर भी उन्होंने जो कर दिखाया वह अतुलनीय है।
Abraham Lincoln ने अपने जीवन में health से related कई problems face कीं। उन्होंने अपने जीवन में कई बार हार का मुंह देखा यहाँ तक की एक बार उनका nervous break-down भी हो गया, पर फिर भी वे 52 साल की उम्र में अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति बने।
सच ही है अगर इंसान चाहे तो अपने जीवन के अधूरेपन को ही अपनी प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत बना सकता है ।
जो अधूरापन हमें जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा दे, भला वह negative कैसे हो सकता है।
“ज़रा सोचिये! कि अगर ये थोडा सा अधूरापन हमारे जीवन में न हो तो जीवन कितना अधूरा हो जाये !!!!”
 ———–
We are grateful to Mrs। Shikha Mishra for sharing this thoughtful HINDI article with  AchchiKhabar। Com। Thanks a lot ! Also thanks for explaining Maslow’s hierarchy of needs in Hindi.
निवेदन :कृपया अपने comments के through बताएं की ये POST आपको कैसी लगी ।
यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। 
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Sunday, 2 October 2016

MAND BUDHDHI SE MAHANATA TAK>>:::: KI TIN SCIENTIST KI PRERNADAYIKA LIFE YA JIVANN>>>>|


मंद बुद्धि से महानता तक : तीन वैज्ञानिकों का प्रेरणादायी जीवन


अपनी  intelligence से  दुनिया  को  अनूठे तोहफे  देने वाले  कुछ  महान  लोग  अजीब  आदतों  के  शिकार  थे  और  उन्हें दुनिया  भी  फिसड्डी  ही  मानती  थी . शुरू में  लोगों  ने  उन्हें  ताने  दिए  और उन्हें  सनकी ,पागल  और  नाकारा  समझा . लेकिन  जब  इन लोगो  ने  अपनी काबिलियत  का  परिचय  दिया  तो  दुनिया  में  परिवर्तन  आ  गया . आइये हम  ऐसे ही कुछ महान वैज्ञानिकों के जीवन के कुछ रोचक व प्रेरणादायक तथ्य जानते हैं :

Sir Isaac Newton / सर आइज़क न्यूटन  (25 December 1642 – 20 March 1727)

आइज़क न्यूटन
आइज़क न्यूटन
दुनिया को  गुरुत्वाकर्षण  का  सिद्धांत  देने वाले  Sir Issac Newton शुरुआती  दिनों  में  ठीक  प्रकार से  बोल  भी  नहीं  पाते  थे . वे स्वभाव से काफी गुस्सैल  थे  और  लोगों  से  कम  ही  वास्ता रखते  थे . उनके  इसी  व्यव्हार  के  कारण  उनके  मित्र  भी  न के  बराबर थे . newton अपने  विचार  भी  सही  ढंग  से  व्यक्त  नहीं  कर  पाते   थे ,वह अपने  उपलब्धियों  या  खोज  को  बताने  में  संकोच  करते   कि  कहीं  वह  हंसी के  पात्र  न  बन  जाएं . शुरुआती  दिनों  में  Newton कई  प्रकार  के प्रयोग  करते  रहते  थे .Newton के  व्यव्हार  के कारण  उन्हें  सनकी  और  पागल समझा  गया  पर  लोगों की परवाह किये बगैर वे अपने शोध में लगे रहे और अंततः एक महान  वैज्ञानिक  बनकर उभरे और एक  genius के रूप में विख्यात हुए।

Thomas Alva Edison / थॉमस अल्वा एडिसन   (February 11, 1847 – October 18, 1931)

आज आपके कमरे  में  जो  bulb रौशनी  करता  है ,उसका आविष्कार  Thomas Alva Edison ने किया  था Thomas Alva Edison थॉमस अल्वा एडीसन Quotes in Hindi. विद्युत्  बल्ब   के  जनक  के  नाम  से  मशहूर  Edison को  शुरू  में  फिस्सड्डी और  मंद  बुद्धि  बालक  समझा  जाता  था ,लेकिन निरंतर परिश्रम के बल पर एक  दिन उन्होंने  अपने अविष्कार से सारी   दुनिया  प्रकाशमय  कर  दी .Edison ने  सिर्फ बल्ब  ही  नहीं  ,बल्कि सैकड़ों अन्य अविष्कार भी  दुनिया  को  दिए। वे  अधिकांश  समय  अपनी  प्रयोगशाला  में  बिताते  थे . अविष्कारों  को लेकर  उनके  जूनून  को  देखकर  लोग  उन्हें  सनकी  और  पागल  तक  समझने  लगे थे। बचपन  में  भी  वे  अजीब  हरकतो  के  लिए  जेन  जाते थे  . कहा  जाता  है कि  एक  बार  चिड़ियों  को  कीड़े  खाते  देख  उन्होंने  यह  सोचा  कि  उड़ने  के लिए  कीड़े  खाना  शायद  जरुरी  है . बस  ,कुछ  कीड़े  इकट्ठे  कर उसका  घोल  बनाकर  उसे अपने  दोस्त  को  पिलाने  कि  कोशिश की  . वे देखना  चाहते  थे  कि  उनका  दोस्त  इसके  बाद  उड़ने  लगेगा  या  नहीं . जाहिर है  कि  उन्हें  सबने   खूब  डांटा   और उनपर  पाबंदिया  भी  लगाई  गई . पर  उनकी  इसी जिज्ञासु प्रवित्ति ने  दुनिया  बदल  दी . (थॉमस ए. एडीसन के अनमोल विचार)

Albert Einstein /अल्बर्ट आइंस्टीन  (14 March 1879 – 18 April 1955)          

महान  वैज्ञानिकों में  Albert Einstein का  नाम  सबसे  पहले  रखा  जाता  है . 1879 में जन्मे  Albert Albert Einstein life in HindiEinstein तीन  साल  तक  डिस्लेक्सिया  से  पीड़ित  थे  और   बोल  भी  नहीं  पाते   थे . तेरह  साल  कि  उम्र तक  वह  अपने  जूतो   के  फीते  बांधना  भी  नहीं  सीख  पाये  थे . Einstein शुरू  में  न  तो  गुणा -भाग  कर  पाते  थे  और  न ही  शब्दों  को  सही तरह  से  लिख  पाते   थे . उनके शिक्षक  हमेशा  उनके  बारे  में  नकारात्मक टिपण्णी  करते  थे .Einstein general relativity का  सिद्धांत  प्रतिपादित कर   इतिहास  में  अमर  हो  गए . उनके  इस  सिद्धांत से  विज्ञान  के  क्षेत्र  में  क्रांति आ गयी।  अपनी  इस  उपलब्धि  के  लिए  वह आधुनिक  भौतिकी  के  जनक  कहलाये .Einstein को  विज्ञान   में  अद्भुत योगदान ,खासकर  law of photoelectric effect कि  खोज  के  लिए 1921 में Nobel पुरस्कार  से  सम्मानित  किया  गया .  (अल्बर्ट आइंस्टीन के अनमोल विचार)
Friends, इन माहन वैज्ञानिकों का जीवन दर्शाता है कि कमजोर शुरुआत और दुनिया भर के विरोध के बावजूद धुन का पक्का व्यक्ति कुछ भी कर गुजर सकता है। हमें भी इनसे सीख लेते हुए  सामने आने वाली मुश्किलों  से घबराये बिना निरंतर  अपने  लक्ष्य की और  बढ़ते रहना चाहिए और एक दिन अपने सपनो को साकार करना चाहिए।
VishalVishal Rochlani  
Amravati
Vishal is doing B.Com from Kesharbai Lahoti
Mahavidyalaya, Amravati


We are grateful to Vishal for sharing these interesting and inspiring facts about world’s great scientists in Hindi.  Thanks Vishal.
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