Thursday 30 June 2016

insaan ( humain) asimit power ka swami. the man unlimited potential owner .इनसान असीमित क्षमता का स्वामी .

insaan ( humain) asimit  power ka swami. the man  unlimited potential owner .इनसान असीमित क्षमता का स्वामी .




















इनसान असीमित क्षमता का स्वामी .











महान  आमरीकी  bussines मैन और मोहन - वहां निर्माता  हेनरी फोर्ड ने कहा था कि हर इनसान आपनी क्षमता का जितना आकलन करता है, वह उस क्षमता से अधिक कार्य कर सकता है.\\\

 लेकिन प्रतेक व्यक्ति  आपनी श्रेष्ट  रचनात्मक  क्षमताओ का  का उचित आकलन  करने का  कभी प्रयाश हि नहीं करते है .
 यहाँ तक इस श्रेणी से  बहार निकलने का  में भी रूचि नहीं लेता  और न हि प्रयत्न करता है.\\\
 इसके बिपरीत  जिन लोगो  ने उतम क्षमताओ का समुचित उपयोग करने कि कामना कि , चाहे उसकी क्षमता कुछ भी रही हो ,  योग्यता कुछ भी रही हो, तो उसने ठान लिया ,लिया कुछ बड़ा करना है . कुछ बड़ा काम करना है . या करेगा और उसने एषा किया भी . इसलिए  जरुरत है अपनी क्षमता एवम योग्य का बार बार मूल्याङ्कन किया , करने कि  ताकि आप उनमे अवश्यक  परिस्कार  कर सके  और  उसका इस्तेमाल कर सके . हर इनसान के लिए आपनी क्षमता का समुचित आकलन करना जरुरि है . इन  सब के लिए प्रभावशाली तथ्यों, घटनाओ  और  व्यक्तिओ  का बार -बार स्मरण  करे.....




NOTE:::-कुछ वर्ष पूर्व तक लोगो कि यह धारणा थी कि कंप्यूटर जैस यंत्र बना कर  मनुष्य ने आपनी मंजिल प्राप्त कर ली है....
यह भी मना जाना लगा कि इनसान अब दुनिया कि जटिल से जटिल गणना भी आसानी से कर सकेगा , या कर लेगा . लेकिन हर दिन एक से बढ   कर एक सुपर कंप्यूटर बाजार में आ रहा  है ,और इसका  कोई अंत नही दिख रहा .
यह बताता  है कि इनसान कि क्षमता असीमित है. जरुरत है उसकी आकलन करने कि .




1. कल्पनाशील बनिए?

इसे इस तरह सोचे. जब आनेक sciencetist आकाशिए  पिंडो पर जीवन कि उपश्थिति  के सम्बन्ध  में केवल विचार विमर्श कर रहे  थे, तब आपकी  कल्पनाशील  क्षमताओ का उपयोग कर  रहे थे , तब आपनी कल्पनशील 
क्षमताओ का उपयोग कर एक स्किएन्केतिस्त ने दुसरे अकश्ये पिंड पर बुद्धिमान  प्राणियों कि खोज कि  दिशा में कदम बढाया .परिणाम यह आया कि  अन्तरिक्ष में बुद्धिमानी सभ्यता कि खोज का प्रयास हुआ . इस ने कैलिफोर्निया univarcity के सांताक्रुज खगोल science  विभाग  के उस प्रोफेसर  फैक  डेड  को म्हणता के सर्वोच्य शिखर पर ला खरा किया.


2.खुद को स्वीकार कीजिये 

यह एक एषा फार्मूला है , जो हर इनसान का आत्म्बिश्वास और आत्मसम्मान को बढाता है . आप भी इसक प्रयोग करे  . आप जैसे है ,आप  जहा भी है, आप जो भी है, आप आपने आप को वैसे हि रूप में स्वीकार कीजिये . तब आपको विश्वास होगा  कि आप अत्यंत पर्तिभावन, आकर्षक,सुर्योग्य,हंश्मुख और लोकप्रिय है. तब आप स्वाम को प्रयाप्त  मान सम्मान  प्रदान  देने लगेंगे. इसलिए स्वाम को परिपुनता से स्वीकार करे . 
स्र्व्सक्तिमान आपके पिता है .आपको उनका पूरा स्नेह प्राप्त है ,आपको वह अत्यंत हि चाहता है और आप उसे स्वीकार है, इस विश्वास को बढ़ाये. अगर आप एषा करेंगे ,तो पाएंगे कि  अब तक आपको हि स्वाम  को स्वीकार करने में आपति थी , जबकि अनेक व्यक्तिओ ने तो आपको बहुत पहले से हि स्वीकार किया हुआ है.

3.खुद पर विश्वास रखिये.



जो आपने आप पर विश्वास रखता है , वह  दुशरो पर भी और दुशरे  लोग भी उस पर विश्वास करते है .इसलिए आपने  बिश्वास को किसी भी परिश्थिति में डगमगाने न दे . हर इनसान को ईस्वर ने आपने हि सामान महान बनाया  है . और उन्हें अनगिनत श्रेष्ट  गुणों का उपहार दिया . है , और आपने जीवन में सर्वोतम [म्हणता हासिल ]
हाशिल करने  के लिए इस धरती पर भेजा है . आप जो भी है , जैसे भी , आप जहा भी है, आप में ईस्वर का अंश है , तो आप श्रेष्ट है  और श्रेष्ट कर्म करने के लिए है .यह आपका दायित्व है  कि आप खुद को पहचाने  और खुद पर भरोषा  रखे. फिर देखेंगे कि आप बहुत बड़े बड़े कर पा रहे है .आप सफल हो रहे है , और आपकी ज़िन्दगी  मस्ती में  बिट रही है .








4.खुद से श्रेष्ट व्यवहार कीजिये .

जिस प्रकार आप अन्य लोगो से उतम व्यवहार कि अपेक्षा रखते है . उसी प्रकार  आप दुशरो से श्रेष्ट व्यवहार करे. यह आपके गुणों को बाधा है. आपके मित्रो और सहयोगियों कि संख्या में ब्रिधि करता है  तथा कैरिएर कि बड़ी  से बड़ी बढाओ को दूर करता है. इसी क्रम में आपनी मस्तिष्क को  उसी प्रकार विश्राम दे, जिस प्रकार आप आपने शारीर को विश्राम देते है. मस्तिष्क को प्रदान किया गया थोरा सा बिसराम या मनोरंजन आपके मस्तिष्क को नविन उर्जा , उत्साह और उल्लास से भर देता है.




5.खुद को सदैव व्यस्त रखिये?


कहा जाता है , कि खली दिमाग सैतान के . इस कथन में गहरे अनुभव के सार है. आज तमाम कैरिएर सलाहकार यह बताते है  कि  आपने मस्तिष्क को हमेशा व्यस्त रखिये . शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से  कुछ न कुछ अवश्य करते रहे .








मुह से निकले शब्द हमें गुलाम बनाते है 


विस्टन चर्चिल  सन 1940 से  1945 के समय इंग्लॅण्ड के प्रधानमंत्री  थे. वह एक मात्र प्रधानमंत्री  हुए, जिन्हें नोबल  पुरस्कार मिला ,  से सम्म्मानित किया गया .वे महान अंग्रेज राजनीतिग्य , इतिहाश्कार, लेखक ,प्रखर वक्ता , सिपाही और कलाकार थे.
30 नोम्बर 1874 को ऑक्सफ़ोर्ड शयेर के ब्लेनहीम  पैलेस में पैदा हुए थे. इनका पूरा नाम  विस्टन लियोनार्ड  स्पेंसर चर्चिल था .
हम आज उनके विचारो को यहाँ स्थान दे रहे है.


  • सभि महान चीजे सरल होति है. कइयो को एक सब्द में व्यक्त किया जा सकता है . स्वतंत्रता न्याय ,सम्मान, कर्तव्य, दया, आशा .एक निराशावादी को हर अवसर में कठिनाई दिखाई देती है  और एक आशावादी को हर कठिनाई में अवसर दिखाई देता है.
  • हम मनचाहे शब्दों के मालिक है, पर जिन सब्दो को हम मुह से निकाल देते है , हम उन सब्दो के गुलाम है . हमें जो मिलता है हम उस से जीवन चलते है , पर हम जो  देते है उस से हम जीवन बनाते है.
  • कत्र्पंथी ओ होता है , जो आपना दिमाग बदल नहीं सकता , और बिषय वो बदलता हि नहीं.
  • सहस मंविये गुणों में प्रमुख्य है , क्यूंकि यह वह गुण है  जो बाकी सभि गुणों कि गारंटी देता है.
  • आपने सब्द वापस लेने से मुझे कभी बधास्मी नहीं  हुई . मै हमेशा पहले से भाविश्वानी करने से बचता हु. क्यूंकि घटना घाट जाने के बाद भाविश्वानी करने से काफी बेहतर होता है है.






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