Thursday 17 March 2016

वायु या हवा क्या है इसका महत्व , एयर wइंद इन हिंदी. what is air wind ??? in hindi

वयु य हव कय है इसक महहतव . ऐर विनद इन hindi      

जैसा कि आप सब को पता है कि वयु कय होति है . आज हम आपको इसके बारे मे जरा खुलकर बततते है ,आप सभि को पत हि है कि वयु कितन जरुरि है आप तो जानते हि है कि वयु के बिना एक मिनते  इनसान ,जिव जनतु , एक मिनट भी जीवित नहीं रह सकता , है . अगर इस संसार में वायु  नहीं होति तो ,. मनुसय हि क्या ,कुछ भी पनपना नामुकिन था , और आप सभ को तो पत हि होगा , कि एअर्थ हि एक मात्र ऐसा गृह है जहा पर वयु है , और जिस पर जीवन संभव है.और जीवन है भी.






                        वायु  या हवा  क्या है इसक महत्त्व




वयु क्या होति है ::::::::वयु विभिन्न्य  गैस्सो  कि मिश्रण है .जिसमे नाइट्रोजन गस्सो  कि मात्रा  सर्वर्धिक 78% होति है ,जबकि 21% ओक्सिगें तथा ०.03% कार्बन दाई  ऑक्साइड पाया जाता है ,तथा शेष )०.97% और के आन्य  gass होति है ,वैझाय्निक का कहना है कि  या उनके आनुसार  एअर्थ earth के atmouspheare में करीब 6 लाख अरब तन हवा है .

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   महत्व :::::joजो पाच तत्व है, वयु भी उनमे से एक है.earth,जाल, आग्नि और आकाश  वयु साभी  मनुष्यों ,और जीवो के लिए बहुत हि जरुरि है , वयु के माहत्व का आनुमान हम ऐसे भी लागा सकते है . कि मंनुश्य भोजन के बिना भी कई दिनों  तक जिंदा रह सकता है , लेकिन जब मंनुश्य को बायु न मिले  तो उस्सकी जीवित रहना मुस्किल है. मंनुश्य पुरे दिन भर में लेता है उसकी ७५%  भाग वयु होति है .
और scintest के आनुसार इनसान एक दिन में २२००० बार सांस  लेता है. इस तरह से =]इनसान २५ से २८ किलो ग्राम तक या 3४ गलने  वायु ग्रहण करता है 





फिर भी वयु प्रदुषण के कारण हर साल करोरो रुपए  मुल्ले का खाधान नस्त हो जाता है .
अकेले अमेरिका  में हि वयु प्रदुषण से 32करोर ५० लाख से अध्हिक मुल्ल्या का खाधान नस्त होने कि जानकारी है .अखुई वयु प्रदुस्शन होता क्या है.
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aaiye ab ham vayu pradushan ke kaaran , aur nukshan aur usaki rocktham ke baare me jaante hai.





vayu pradushan ki pribhasa ::: iski pribhasa ke annushar vayu ke bhatic rassaynic ya jaivic gunno me aisa koi bhi abhanchaniye paribartan ho jiske dwara koi bhi  abanchniye  paribartan ho jiske dwara mannushya ke jivan ya aanya jivvon  ko jine me koi  bh presaani lage ya phir kisi bhi prakar se hamari pracritic  sampada nast ho ya usse haani pahuche , vayu pradusshan kahlaate hai .






lekin aaj ye samshya sabse jyada hai  aur din par din bhadh rahi hai aur hava me kai haanikark gaoso ki sankhya bhadti hi jaa rahi hai .






jo ki ek bhut gambhir samsya hai........



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